आंगनबाड़ी, आशा और मिड डे मील वर्करज़ अपनी मांगों को लेकर दो दिन की हड़ताल पर हैं। प्रदेश के ग्यारह जिला मुख्यालयों और ब्लॉक पर सीटू से सम्बंधित आंगनबाड़ी वर्करज़ एवं हेल्परज़ यूनियन ने धरने प्रदर्शन किए और सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। योजना कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द ही मिड डे मील और आशा वर्करज को नियममित कर्मचारी घोषित नहीं किया तो आने वाले समय में देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
सीटू से सम्बंधित आंगनबाड़ी वर्करज़ एवं हेल्परज़ यूनियन की महासचिव हिमी कुमारी ने कहा है कि केंद्र सरकार से साल 2013 में हुए भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी, मिड डे मील और आशा कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं देने की मांग की है। साथ ही मिड डे मील वर्करज़ के लिए हिमाचल प्रदेश का न्यूनतम वेतन 8250 रुपये लागू करने की मांग की है। उन्होंने योजनाकर्मियों के लिए पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल और छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है।
इन सभी योजनकर्मियों को महीने का 2300 से लेकर 6300 रुपये वेतन दिया जा रहा है जोकि देश औक प्रदेश का न्यूनतम वेतन भी नहीं है। सरकार शिक्षा के अधिकार के नाम पर 25 बच्चों से नीचे संख्या होने पर हर दो वर्करज़ में से एक की छंटनी कर रही है। उन्होंने मांग की है कि मल्टीपरपज वर्करज़ का काम मिड डे मील कर्मियों से ही करवाया जाए और उनके वेतन में बढ़ोतरी की जाए।
उन्होंने मांग की है कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2019 के निर्णय को तुरन्त लागू करके दस महीने के बजाए बारह महीने का वेतन लागू किया जाए। प्री नर्सर्री कक्षाओं के जिम्मा आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए और उन्हें नियमित किया जाए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान आशा कर्मियों ने फ्रंटलाइन वॉरियर की तरह कार्य किया है। लेकिन उन्हें इन सेवाओं और सामान्य परिस्थितियों में भी उनकी भूमिका की एवज़ में केवल शोषण ही नसीब हुआ है। आशा वर्करज़ की सेवाओं के मध्यनजर उन्हें हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए।