कारोना काल का असर हर वर्ग के काम धंधे में पड़ा है। शिमला के समर हिल में रहने वाले फोटोग्राफी कर घर चलाने वाले एक व्यक्ति का काम भी कारोना की भेंट चढ़ गया। बेटी की तय शादी की चिंता दिन रात इस फोटोग्राफर को सत्ता रही थी की जवान बेटी की शादी करें तो कैसे? इसी बीच नोफल वेलफेयर सोसाइटी को जब मज़बूर बाप की चिंता का पता चला तो मदद को हाथ आगे बढ़ा दिया।
मदद भी ऐसी की सारी शादी का खर्चा उठा लिया और आज नाभा गुरुद्वारे में शादी भी कर दी। खाने से लेकर दुल्हन को सारा जरूरी सामान नोफल द्वारा दिया गया। ऐसे बहुत कम मौक़े होते है जब शादियां हटकर रीति रिवाज के मुताबिक हो। एक हिन्दू लड़की की शादी गुरुद्वारा में हो। हमारे देश की यही ख़ासियत है तभी तो भारत को विभिन्नता में भी एकता का देश माना जाता है। जहां कब कैसे किस रूप में मदद कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता।
ऐसे उदाहरणों से पता चलता है कि इंसानियत का कोई धर्म नही होता। सबसे बड़ा धर्म परोपकार है, दूसरे का दुःख दर्द अपनाकर उसकी मदद करना है। इस कारोना काल में ऐसे कई उदाहरण सामने आए है जहां जाति, धर्म व सम्प्रदाय से दूर समाजसेवीयों ने आगे आकर लोगों की मदद की।