राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय फार्मास्यिूटिकल शिक्षा और अनुसंधान केन्द्र अधिनियम-1998 के अनुरूप नशा रोकथाम और विश्लेषण प्रबंधन केन्द्र स्थापित करने का आग्रह किया है। इसको लेकर राज्यपाल ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा को पत्र और फोन के जरिए प्रदेश के बच्चों, युवाओं और अन्य लोगों में नशे की रोकथाम के प्रबंधन के लिए एनआईपीईआर मौहाली को हिमाचल प्रदेश में एक उत्कृष्ट केंद्र खोलने के निर्देश देने का आग्रह किया है। राज्यपाल ने कहा कि युवाओं में नशे की समस्या एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है और हिमाचल प्रदेश भी इससे नहीं बच पाया है। इस मुद्दे पर एनआईपीईआर जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ सहयोग के माध्यम से न्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने के आवश्यकात है।
दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का ग्रामीण राज्य है और यदि राज्य में उत्त्कृष्टता केंद्र खोला जाता है तो इस अधिनियम का जनादेश उचित रूप से पूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि भारत के फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में हिमाचल तेजी से विकसित क्षेत्रों में उभरा है। राज्य एशिया में निर्मित 35 प्रतिशत फार्मा उत्पादों का उत्पादन करता है और देश के कुल फार्मा निर्माण की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सभी बड़ी औद्योगिक कंपनियों सहित 300 से अधिक फार्मा कंपनियां यहां स्थित हैं। हिमाचल देश का फार्मा हब है और इस क्षेत्र को और अधिक विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में एक बल्क ड्रग पार्क स्थापित करने के लिए भूमि चयनित की है। हिमाचल हैदराबाद के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 जैसी चुनौतियों और भारत-चीन व्यापार में आ रही समस्याओं के कारण मेक-इन-इण्डिया पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने और हिमाचल प्रदेश में उत्त्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे न केवल हिमाचल का फार्मा क्षेत्र मजूबत होगा, साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी मददगार सिद्ध होगा। दूरभाष के माध्यम से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री ने राज्यपाल को आश्वासन दिया कि वे प्रदेश में इस केन्द्र को स्थापित करने की सम्भावनाएं खोजने के मामले पर अवश्य विचार करेंगे।