हिमाचल पथ परिवहन निगम में टिकट देने की सुविधा बेशक स्मार्ट हो चुके हैं। लेकिन, टिकट बंटवारे का ये स्मार्ट तरीका अब लोगों के परेशानी का कारण भी बन रहा है। लॉन्ग रूट पर चलने वाली निगम की बसों में अधिकतम लोगों को अतिरिक्त किराया चुकाना पड़ रहा है।
जी हां, एक दैनिक अख़बार की माने तो लंबे रूट पर चलने वाली बसों की टिकटिंग मशीनों में बड़े शहरों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में जब यात्री निगम की बसों में सफर करते हैं तो उनका स्टेशन मशीन में ना होने के कारण उन्हें अतिरिक्त किराया चुकाना पड़ता है। ये खामियाजा किसी एक बस नहीं बल्कि निगम की सभी बसों में भुगतना पड़ता है।
खासकर धर्मशाला टू शिमला और मनाली टू चंबा-शिमला चलने वाली दर्जनों बसों में बड़े शहरों के नाम गुम हैं। धणाहट्टी समेत टुटू शहर को मशीन में शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में टुटू में उतरने वाले यात्रियों को आईएसबीटी का किराया देना पड़ता है और यात्रियों पर किराये का अतिरिक्ति बोझ पड़ता है। ऐसा ही वाक्या चंबा के दर्जनों स्टेशन में होता है।
आलम ये है कि प्रत्येक डिपो स्तर पर निगम ने अपनी मर्जी से टिकटिंग मशीन में स्टेशनों को अपलोड किया है। ऐसे में लॉन्ग रूट की बसों में अपनी मर्जी के अनुसार डिपो स्तर पर स्टेशन तय किए जाते हैं और इसका खमियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ता है। यात्रियों का कहना है कि बस चाहे सुफर फास्ट हो या फिर नॉन स्टॉप हो सभी बड़े शहरों या स्टेशनों को टिकट मशीन में शामिल किया जाना चाहिए ताकि लोगों पर अतिरिक्त किराए का बोझ न पड़े।