उपमंडल बंगाणा के तहत पंचायत खरयालता के दो गांवों को डीहर पंचायत में मिलाने की अधिसूचना जारी होने पर ग्रामीणों में प्रदेश सरकार के प्रति गहरा रोष जताया है। उक्त गांवों के ग्रामीणों ने पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने मांग की है कि खैरियां और सरनोटी गांवों को खरयालता पंचायत के अधीन ही रखा जाए। गांव खैरियां और सरनोटी के पीडि़त ग्रामीणों का कहना है कि पूर्वकाल से ही हमारे वंशज इसी पंचायत के अन्तर्गत रहते आए हैं।
पंचायत में मूलभूत सुविधाएं न होने के लिए हमारे पूर्वजों और हमने काफी जद्दोजहद की है। तब जाकर हमें हमारे बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएं लेने के लिए अस्पताल, धन का आदान-प्रदान करने के लिए बैंक और डाकघर की सुविधा हमें घर-द्वार मिल पाई है। अब जिस पंचायत में हमें स्थानान्तरित किया जा रहा है, वे हमारे घरों से चार और पांच किलोमीटर की दूरी पर है और वहां तक जाने के लिए हमें खड्डनुमा नाला भी पार करना पड़ेगा।
ग्रामीणों समेत कईयों ने सरकार के इस निर्णय को काले पानी की सजा से कम नहीं बताया किया। उपरोक्तों ने प्रदेश सरकार से मांग की है। सरनोटी और खैरियां गांवों को यथावत खरयालता पंचायत के अधीन ही रखा जाए। अगर सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर हमारी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया तो मजबूरन हमें न्यायलय का दरवाजा खटखटाना होगा। साथ ही सरकार के प्रति प्रदर्शन करने से भी गुरेज न करने की बात कही।
क्या कहते हैं पंचायत प्रधान खरयालता
अशोक कुमार उर्फ मोनू का कहना है कि सरनोटी और खैरियां गांव खरयालता के अन्तर्गत आते हैं। दोनों गांवों में 50 के लगभग घर हैं। इनकी मांग जायज है। इनकी मांग का समर्थन करते हुए हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इन गांवों को यथावत पंचायत में रखा जाए। जिससे ये लोग मूलभूत सुविधाओं का घर-द्वार पर ही लाभ ले सकें।