गुड़िया मामले से जुड़े सूरज की जेल में हत्या के मामले पर कोर्ट की सुनवाई लगातार टल रही है। कोर्ट की सुनवाई को बार-बार उन वकीलों के चलते टल रही है जो कि पुलिसवालों को केस की पैरवी कर रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को एक बार फिर वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए और सुनवाई को टाल दिया गया। लेकिन, ये वकील कोर्ट में पेश क्यों नहीं हो रहे और इसके पीछे क्या खेल चल रहा है? आइए जानते हैं।
दरअसल, शिमला बार एसोसिएशन ने एसआईटी आईजी समेत पुलिस कर्मियों का केस लड़ रहे सभी वकीलों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। शिमला बार एसोसिएशन ने इस वकीलों को इसलिए एसोसिएशन से बाहर किया था क्योंकि एसोसिएशन का निर्णय था कि गुड़िया मामले को कोई भी वकील इसमें संलिप्त आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा। लेकिन, जब कुछ वकील गुड़िया केस से जुड़े मामले में पुलिस वालों का केस लड़ने लगे तो एसोसिएशन ने उन्हें बाहर कर दिया।
शिमला बार एसोसिएशन ने वकील अजय कोछड़, रवि टंटा, अश्वनी दिवान, मनोज पाठक और अमित शर्मा को बाहर कर दिया था। बाहर होने के बाद ये वकील हाइकोर्ट चले गए औऱ हाइकोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर बार एसोसिएशन के साथ मिलकर मामले को सुलझाने की बात कही। इसी बीच वकीलों ने अपनी याचिका वापिस ले ली। अब गेंद शिमला बार एसोसिएशन के पाले में है कि वह इन वकीलों को वापिस लेते है कि नहीं। यही वजह है कि अब मामले में सुनवाई लटक रही है।
शिमला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह नेगी का कहना है कि एसोसिएशन के पास कुछ दो तीन वकीलों की एप्लीकेशन आई है कि उन्हें केस लड़ने में छूट दी जाए। लेकिन, अभी सभी वकीलों की तरफ से उनके पास कुछ नहीं आया है, जिस पर अभी कोई भी फैसला नही लिया गया है। हां यदि किसी वकील का आरोपी यदि रिस्तेदार है तो उसको केस लड़ने में छूट दी जा सकती है, बाकी बार एसोसिएशन अपने फैसले पर कायम है।