नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने नई पंचायतों के गठन पर सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रेदश के पंचायतों में जबरदस्त बंदर बांट चल रही है। तमाम कायदे कानून दरकिनार कर दिये गए हैं। पहले चरण में मुख्यमंत्री के हल्के की पंचायतें बनाने के लिए फॉर्मूले बदल डाले गए। पिछड़े इलाके के लिए एक नया फॉर्मूल घड़ा गया ताकि जयराम के हलके में भारी भरकम पंचायतें बनाई जा सकें।
दूसरे चरण में तो पंचायतों का गठन बिना किसी फॉर्मूल के किया गया। पंचायतों के गठन में विभाग से ज़्यादा मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त एक अफ़सर निभा रहा है जिसने अपने हिसाब से फ़ॉर्मूले बना लिए है। यह सरकार चंद हल्क़ों की सरकार बन कर रह गई और राज्य के संतुलित विकास में इस सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि पंचायतों को लेकर सरकार में जबरदस्त घमासान मचा है। पहली सूची 230 की थी जिसमें मुख्यमंत्री की पंचायतें बनाने के लिए जनसंख्या और दूरी के मापदंड घटाए गए। राजनीतिक दवाब पड़ने पर 53 और पंचायतें बनाई और उस में मानदंडों को हटा ही दिया गया, जबकि विभाग के पास इन पंचायतों का सही डाटा तक नहीं था।
अभी भी घमासान के चलते एक और सूची प्रस्तावित बताई जा रही है। बेक़ायदे की पंचायतों के गठन में वह सारी पंचायतें छूट गई जो असल में बननी थी।आलम यह है कि मंत्री के गृह ज़िला में चंद पंचायतें बनी हैं जबकि एक ज़िला विशेष की भारी भरकम पंचायतें बना दी। बताते हैं कि भाजपा में भी इसको लेकर भारी ग़ुस्सा है। पंचायत विभाग के अलावा वित्त एवं विधि विभाग के विरोध के चलते यह सब हो रहा है। पंचायतों के चुनाव 22 जनवरी से पहले मुकमल करने हैं। समय पर चुनाव होंगे इस पर सवालिया निशान है क्योंकि अभी तक सुझाव एवं आपतियां मांगी जा रही हैं। हदबंदी और वोटर लिस्टें बननी हैं।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि तक़रीबन यही हाल नगर निगमों और नगर पंचायतों के गठन में है। आनन फ़ानन एक ही जगह को पंचायत और नगर पंचायत तक अधिसूचित कर दिया। समय पर काम ना करने की वजह पंचायतों के गठन में यह लूट मची है। अब ये धारणा यक़ीन में बदल गई है कि जय राम सरकार को पूरे प्रदेश का सरोकार नहीं है और इनका हर निर्णय चंद हल्क़ों तक सीमित है।