केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रधानमंत्री जनधन योजना के माध्यम 40 करोड़ से ज़्यादा बैंक खाते खोले जाने की जानकारी देते हुए इस योजना को जन-जन के आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी के बाद से ही पिछले कई दशकों से देश के ग़रीबों और पिछड़ों ने उपेक्षा का दंश झेला है। साल 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को ना सिर्फ़ पिछड़ों और ग़रीबों के लिए काम करने वाली सरकार बताया बल्कि अपने अथक परिश्रम से इसे साकार करके दिखाया है।
पिछड़ों और ग़रीबों के आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने के लिए लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 6 साल पहले पीएम जनधन योजना शुरू की थी। यह योजना मोदी सरकार की जन-केंद्रित आर्थिक पहलों के लिए एक आधारशिला है। इस योजना के तहत अब तक रिकॉर्ड 40 करोड़ से ज्यादा लोग बैंकिंग सिस्टम से जुड़ चुके हैं, यानी करोड़ों लोगों ने पहली बार बैंक में प्रवेश किया है। कुल खातों में 55 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के नाम पर जिनमें से अधिकत ग्रामीण क्षेत्रों से सम्बंध रखती है। मोदी सरकार द्वारा सिर्फ़ 6 सालों में 40 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो आत्मनिर्भर भारत विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खातों में 1 लाख 31 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि जमा है जिसमें औसत जमा राशि प्रति खाता 3000 रु. से अधिक है। खाताधारकों की सुविधा के लिए कुल 30 करोड़ से अधिक रुपये कार्ड जारी किए जा चुके हैं। केंद्र सरकार समाजिक सुरक्षा के तहत दी जाने वाले तमाम पेंशन, खाद्यान्न सब्सिडी, गैस सब्सिडी आदि का पैसा इन्हीं जनधन खातों के माध्यम से लाभार्थियों तक पहुंचा रही है। अब ग्रामीणों के खातों में बगैर किसी भ्रष्टाचार के सब्सिडी की रकम पहुंच रही है, यह भी एक बड़ा कारण है कि जनधन खातों में रुपए का लेनदेन लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना आपदा के समय यही जनधन खाते लोगों के लिए वरदान साबित हुए हैं और केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई आर्थिक सहायता का लाभ डीबीटी के माध्यम लोगों को तुरंत मिला है। जनधन जन-जन के आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बना है।