जिला कांगड़ा की 26 बेटियों को घर द्वार पर बड़े शहरों जैसी कोचिंग देने की पहल जिला प्रशासन ने की है। कोचिंग के माध्यम से मेडिकल और नॉन मेडिकल संकाय की इन बेटियों को जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा। कार्यक्रम के तहत हर बच्चे पर स्पेशल फोकस रखा जाएगा। जिला प्रशासन की मानें तो कोरोना कॉल में इन बच्चियों को वेब क्लासिस के माध्यम से कोचिंग दी जाएगी, जबकि कोविड के बाद इन्हें क्लासिस में बिठाकर भी कोचिंग देने की व्यवस्था की जाएगी। जिला प्रशासन की अनूठी पहल है, जिससे कि बेटों की तरह बेटियों को भी कोचिंग की व्यवस्था की गई है।
डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति ने कहा कि बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान के तहत जिजिविषा कार्यक्रम जिला कांगड़ा शुरू किया गया है। जिससे जो मौका बेटों को मिल रहा है, वो बेटियों को भी मिले। हमने निर्णय लिया कि सरकारी स्कूलों की जो बच्चियां उन्हें निशुल्क मेडिकल और नॉन मेडिकल की ट्रेनिंग मिले, जो कि दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों में मिलती है, उसे घर द्वार पर कैसे उपलब्ध करवाया। इसी कड़ी में रेडक्रॉस के और एडुस्क्वेयर के माध्यम से 26 बेटियों का चयन किया गया है। जिनको आगामी दो साल तक कोचिंग दी जाएगी।
जिस तरह बड़े शहरों की बच्चियों को कोचिंग मिलती है, उसी तरह की कोचिंग हम सरकारी स्कूल की बच्चियों को देने जा रहे हैं। इन बच्चियों को जेईई और नीट के लिए हम इन्हें तैयार करने जा रहे हैं। कोविड के समय में इन्हें वेब क्लासिस टू बी इंटरेक्शन के माध्यम कोचिंग दी जाएगी, जबकि कोविड के बाद इन्हें क्लासिस में भी कोचिंग दी जाएगी।