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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति को हिमाचल के संकल्प से अवगत करवाया

पी. चंद, शिमला |

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ राज्यपालों, उप-राज्यपालों तथा कुलपतियों की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर वीडियो कांफ्रेसिंग में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी अपने विचार रखे। राष्ट्रपति ने अध्यक्षीय भाषण दिया। बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बैठक में स्वागत भाषण दिया। इस मौके पर, राज्यपालों, उप-राज्यपालों और शिक्षा मंत्रियों ने विचार-विमर्श सत्र में भाग लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल बंडारू ने कहा कि हिमाचल ने यह संकल्प किया है कि इस नीति को लागू करने में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। इस नीति में सभी पक्षों पर ध्यान दिया गया है, और यह एक पूर्ण भविष्योन्मुखी, गतिशील दस्तावेज है, जो देश को आने वाली  चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद से ही उन्होंने सभी सम्बन्धित संस्थाओं, समूहों और विशेषज्ञों से चर्चा शुरू की है। गत दिनों सभी कुलपतियों के साथ विचार-विमर्श किया गया और अध्यापकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, बच्चों, शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ भी इस पर विस्तृत चर्चा की है। उन्होंने कहा कि नीतिगत दस्तावेज को प्रदेश में लागू करने के लिए उन्होंने इस विषय में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से भी विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश मंत्रिमण्डल ने इस के लिए टास्क फोर्स का गठन करने का निर्णय लिया है।

दत्तात्रेय ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों उनकी अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं, जो शीघ्र ही अपनी संस्थाओं के लिए दृष्टिपत्र तैयार करेंगे, कि किस प्रकार वे साल 2040 तक बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय बनायेंगे। मैं समय-समय पर इस की समीक्षा करता रहूंगा। उन्होंने आग्रह किया कि इस नीति को लागू करने के लिए, जिन संस्थागत एवं ढ़ांचागत बदलावों की आवश्यकता है, उस के लिए हिमाचल प्रदेश को केन्द्र सरकार से वित्तीय सहयोग निरंतर मिलता रहेगा। कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन शिक्षा बढ़ी है, लेकिन इसके लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में काम होना चाहिए। जनजातीय क्षेत्रों और दूर-दराज के क्षेत्रों में  दूरभाष और इंटरनेट की व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है, जिससे विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।