मॉनसून सत्र के दूसरे दिन की कार्रवाई स्थगन प्रस्ताव की चर्चा के साथ शुरू हुई । दोपहर तक 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत 6 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष की तरफ़ से किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने सरकार पर जमकर हमले बोले। नेगी ने कहा कि कारोना काल मे विपक्ष के विधायकों को नजरबंद कर दिया जबकि भाजपा के लोग व दलाल खुलेआम घूमते रहे। आपातकाल में भी ऐसा नहीं हुआ। कोविड से निबटने के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम रही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज तक के निकम्मे मुख्यमंत्री जाने जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र के हाथ की कठपुतली के रूप में प्रदेश सरकार ने तानाशाह के रूप में काम किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेगी के शब्दों के चयन पर आपत्ति ज़ाहिर की। इस पर विपक्ष के नेता ने ऐतराज जताया ओर दोनों तरफ़ से शोर शराबा शुरू हो गया। इसी बीच विपक्ष ने नारेबाज़ी शुरू कर दी। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थिति को संभाला और शब्दों के सही चयन करने की अपील की। जगत नेगी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह उनको बोलने से रोककर लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। नेगी ने आगे कहा कि आप तो राम राज्य की बात करते हैं लेकिन यहां तो रावण राज्य से भी बदतर हालात हो गए हैं। क्योंकि रावण राज्य में कम से कम सोने की लंका तो थी? सरकार ने कोविड की आड़ में सारा सिस्टम तहस नहस कर दिया। जगत नेगी के हमलों पर दोनों तरफ़ से सदन में बहसबाज़ी भी चलती रही।
मामला शांत हुआ तो वन मंत्री राकेश पठानिया ने 67 के प्रस्ताव की चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कारोना की लड़ाई से समूचा विश्व लड़ रहा है। इसके ख़िलाफ़ एकजुट लड़ाई लड़ने के बजाए कांग्रेस पार्टी इस पर रसजनीति करे ये शर्मनाक है। जब कारोना काल में हिमाचली बाहर फँसे थे उस वक़्त विपक्ष उनको लाने की मांग करता रहा। जब लोगों को हिमाचल लाने का काम शुरु किया फ़िर कांग्रेस आलोचना करने लग गई। विपक्ष ने सिर्फ़ सरकार के हर फ़ैसले का विरोध किया। अब विपक्ष मुख्यमंत्री सहित मांत्रियों से इस्तीफ़ा मांग रहा है। कांग्रेस अपने समय के कोर्ट के चक्करों को भूल गई। कांग्रेस हिमाचल की दुश्मन है। विधायक निधि को लेकर सत्ता पक्ष सवाल न उठाएं क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ख़राब है ऐसे में इस तरह की मांग करना गलत है।
वन मंत्री ने सुखविंदर सुख्खू द्वारा कटवाए जा रहे वेतन को लेकर कहा कि सिर्फ़ सुख्खू ही अपना वेतन जमा नहीं कटवा रहे बल्कि सभी सदस्य अपना वेतन कोविड में दे रहे हैं। जिस पर सुख्खू ने कहा कि अन्य सदस्य सिर्फ़ 30 फ़ीसदी वेतन दे रहे हैं जबकि वह अपनी पूरी सैलरी कोविड फण्ड में जमा करवा रहे हैं।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए रामपुर के कांग्रेसी विधायक नंद लाल ने कहा कि कारोना काल में कोविड केअर सेन्टर की व्यवस्था काफी खराब रही। रामपुर अस्पताल में अभी तक वेंटिलेटर नही लग पाए है। सरकार कारोना काल में किए काम व ख़र्च पर स्वेत पत्र लाए। स्वास्थ्य विभाग में घोटाले को लेकर डॉ बिंदल को क्यों इस्तीफ़ा देना पड़ा। कारोना में सरकार का कुप्रबंधन पूरी तरह से नज़र आया। संस्थागत संगरोध संस्थानों में टॉयलेट तक की व्यवस्था नही थी। सेब सीजन में लेबर की कमी से बागवानों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
चर्चा में सुजानपुर के विधायक राजेन्द्र राणा ने भाग लिया और कहा कि देरी से हिमाचलियों को प्रदेश में लाने से मामले बढ़े। चीन में जब कारोना का पता चल गया तो केन्द्र सरकार ने विदेश से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर क्यों नही रोका? ऐसी गलतियां सरकार ने की जिसकी वजह से कारोना फैल रहा है। जो लोग बाहर से हिमाचल आकर बेरोजगार हुए क्या सरकार के पास इसका आंकड़ा है। कोविड के दौरान सरकार ने कितना पैसा इक्कठा किया व कितना खर्च किया सरकार बताए। विधायक निधि को खत्म करने से क्षेत्र में विकास कार्य रुक गए है। भले ही विधायक निधि कम करें लेकिन 1 करोड़ तो दे। सरकार आर्थिक सकंट से दिवालिया हो गई। डबल इंजन की सरकार का अब इंजन फ्रीज़ हो गया है। सड़कें खड्डों में तब्दील हो गए है। राणा ने कहा कि सरकार जब सत्ता में होती है तो हरा हरा ही दिखता है। इसलिए सरकार लोगों के लिए काम करे।