हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव अमित ठाकुर औऱ विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष रविन्द्र चंदेल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और रोस्टर को नियमानुसार लागू कराने के लिए माननीय राज्यपाल से मिला। एसएफआई ने ये आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में हो रही प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर की भर्तियो में रोसस्टर सिस्टम को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। जो 200 पॉइंट रोसस्टर सिस्टम इस बार लागू किया जा रहा उसमें पूरी तरह से कई विभागों में सारी की सारी सीट्स आरक्षित रखी गयी है और कई विभागों में एक भी सीट्स आरक्षित नहीं रखी गयी है।
फॉर्म्स के छंटनी के लिये भी कोई कमिटी का गठन नहीं किया गया है। बल्कि वहां पर सीधे तौर पर नियमो की अवहेलना की जा रही है। एसएफआई ने मांग की है कि फॉर्म्स की छंटनी सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के बजाय विभागों के प्रोफेसर को शामिल करते हुए की जाए। इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए कई विभागों में तो विभागाध्यक्ष भी कहीं और महाविद्यालय से बुलाकर बनाए गये है। जबकि वहां पर सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को विभागाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए था।
एसएफआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय अध्यादेश के अनुसार जब भी आप किसी भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित करते हैं। तो विश्वविद्यालय को उसको कम से कम 3 हिंदी औऱ अंग्रेजी के समाचार पत्रों के साथ-साथ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होता है। जबकि इस कोरोना के दौर में वो सिर्फ एक ही पत्र में प्रकाशित किया गया ताकि सरकार और कुलपति के चहेते लोग जो पहले इन नियुक्तियों के लिए काबिल नहीं थे अब योग्यता पूरी कर रहे है उन्हें मौका मिल सके। इसलिए ये साफ तौर पर दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार किया जा रहा है औऱ अपने चहेतों को भर्ती करवाने की मंशा से भर्तियां की जा रही है। अगर एक दिन के अंदर विश्वविद्यालय अपना पक्ष नही रखता तो एसएफआई आने वाले समय मे इस के खिलाफ़ सड़कों पर उतरेगी औऱ ये जो भर्ती के नाम पर धांधली हो रही है उसको कतई भी बर्दाश्त नहीं करेगी।
एसएफआई राज्य सचिव ने विश्वविद्यालय प्रशासन फिजूलखर्ची का आरोप लगाते हुए कहा कि इस महामारी के दौरान जब पूरे देश की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। हमारा विश्वविद्यालय प्रशासन विश्वविद्यालय के संसाधनों का दुरुपयोग करने पर आमादा है। विश्वविद्यालय प्रशासन एक ही विषय पर्यावरण विज्ञान को लेकर दो अलग-अलग विभाग खोलकर औऱ विश्वविद्यालय में 8 अनावश्यक चेयर्स की स्थापना करके विश्वविद्यालय पर आर्थिक बोझ डालने का कार्य कर रहा है। ताकि सरकार और उसकी विचारधारा के सेवानिवृत्त लोगो को विश्वविद्यालय में भर्ती किया जाए।
इसलिए SFI का मानना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में बहुत सारी खमिया है। जिन्हें समय रहते दुरुस्त किया जाना जरूरी है।
SFI ने राज्यपाल महोदय से मांग की है कि:-
1) विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को तर्कसंगत तरीके से लागू किया जाए।
2) भर्ती से सम्बंधित गठित स्क्रूटिनी कमेटी में सेवानिवृत्त व बाहरी प्रोफेसर के बजाय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को शामिल किए जाए।
3) भर्ती से सम्बंधित सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी विश्वविद्यालय की अधिकृत साइट पर अपडेट की जाए।
4) विश्वविद्यालय के आर्थिक संसाधनों का दुरुपयोग करने वाले उपकुलपति पर कार्यवाही की जाए।