जिला कांगड़ा में शहीद कैप्टन विक्रम बतरा राजकीय महाविद्यालय पालमपुर में उनका जन्मदिन विभिन्न स्थानों पर मनाया गया। परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा की आज 46वीं जयंती गरिमापूर्ण ढंग से मनाई गई। इस मौके पर पालमपुर प्रशासन ने जहां इस अवसर पर शहीद को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं बतरा कॉलेज के प्रांगण में भी कैप्टन विक्रम बतरा की याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा शहीदों के परिजनों को आमंत्रित किया गया था। इनमें शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के पिता जीएल बतरा और शहीद सौरव कालिया के पिता डॉक्टर एनके कालिया विशेष तौर पर आमंत्रित किए गए थे।
शहीद बतरा के पिता, शहीद सौरभ कालिया के पिता, शहीद सुधीर वालिया के परिजनों सहित अन्य लोगों ने उनकी प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित की। इस मौके पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। जीएल बतरा ने शहीद पुत्र की जीवनी को लेकर अपना संबोधन किया और युवा पीढ़ी को देश सेवा के लिए समर्पित होने के लिए प्रेरित किया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रज्ञा मिश्रा ने शहीदों के परिजनों को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए कहा कि शहीदों का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया गया है और देश उनसे प्रेरणा भी ले रहा है। इस मौके पर महाविद्यालय प्रशासन ने ऑनलाइन प्रतियोगिताएं भी करवाई गईं।
कौन थे विक्रम बतरा
शहीद विक्रम बतरा पालमपुर के हीरो हैं। कारगिल युद्ध में अदम्य वीरता और साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था। 9 सितंबर 1974 को उनका जन्म शिक्षाविद गिरधारी लाल बत्रा और कमल कांता बत्रा के घर हुआ था। डीएवी पालमपुर और केंद्रीय विद्यालय पालमपुर में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद चंडीगढ़ से उच्च शिक्षा हासिल की। एनडीए परीक्षा पास करने के बाद विक्रम ने 1996 में सेना में प्रवेश किया था। डेढ़ साल का प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्हें दिसंबर 1997 जम्मू कश्मीर के सोपोर में जम्मू कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति दी गई थी। जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन सैनिकों के इरादों को नेस्तनाबूद करते हुए एक के बाद एक महत्वपूर्ण चोटियों को फ़तह किया। इसी प्रयास में अपने एक सैनिक की जान बचाते हुए विक्रम बतरा शहीद हो गए।