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हिमाचल में मंत्रियों के बेनामी सौदों को लेकर विपक्ष का सदन से वॉकआउट

पी. चंद, शिमला |

प्रश्नकाल शुरू होने से पहले विपक्ष की तरफ से कांग्रेस के विधायक ने बेनामी सौदों का मामला उठाया। विपक्ष ने नियम 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत दिए गए नोटिस पर चर्चा मांगी। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने ये कहकर चर्चा ख़ारिज कर दी कि ये मामला सरकार को भेज दिया है। चर्चा न मिलने पर नाराज़ विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के मंत्री धड़ले से प्रदेश में भूमि ख़रीद रहे हैं जब कि लैंडसिलिंग एक्ट के तहत एक व्यक्ति केवल 315 कनाल तक ही ख़रीदी जा सकती है लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने 1200 कनाल से भी अधिक भूमि ख़रीद रखी है। विपक्ष ने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तो उस समय यह कहती थी कि सत्ता में आते ही हम बेनामी सौदों की जांच करवाएंगे । लेकिन सत्ता हासिल करते ही भाजपा के मंत्री बेनामी सौदों में सलिप्त पाए जा रहे हैं और जांच से सरकार पीछे हट रही है। विपक्ष बेनामी भूमि खरीद मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है और सरकार जांच से बच रही है।

विपक्ष ने सरकार से मंत्रियों और रिश्तेदारों द्वारा 3 साल में खरीदी गई जमीन का ब्यौरा मांगा, लेकिन सदन में चर्चा के लिए समय नहीं दिया गया। इससे नाराज होकर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया है। विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि नियम 67 के तहत समय रहते विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस दे दिया गया था लेकिन फिर भी विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 67 को अनदेखा करते हुए प्रश्नकाल आरंभ करने के आदेश दिए। हर बार यह देखा जाता है कि विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास सदन में किया जाता है।

लैंड सीलिंग एक्ट के तहत एक व्यक्ति के पास अधिकतम 315 कनाल जमीन हो सकती है लेकिन भाजपा मंत्रियों के पास 1200 कनाल जमीन फतेहपुर में साल 2018 में खरीदी जाती है। 515 कनाल जमीन मंत्री के परिवार के नाम है और लगभग 700 कनाल जमीन उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम है। देखने की बात यह है कि इतने बड़े बेनामी सौदों के पीछे है कौन सरकार इसकी पूरी जांच करें।