दलित शोषण मुक्ति मंच ने बुधवार को विधानसभा का घेराव किया और सभी एससी और एसटी के 20 विधायकों और मंत्रियों को ज्ञापन दिया है। उन्होंने मांग की है कि वो उनकी मांगों को विधानसभा में उठाएं । दलित शोषण मुक्ति मंच ने आरोप लगाया कि सरकार सरकारी ,अर्धसरकारी स्थाई नौकरियों का स्वरूप बदल रही है। सरकार द्वारा पार्ट टाइम अनुबंध ठेके आउटसोर्स स्कीम वर्कर्स, पीटीए, एसएमसी औऱ पंचायत स्तर पर अलग-2 रूप में भर्तियां की जा रही है। इन भर्तियो में आरक्षण लागू नहीं किया जाता।
सरकार संविधान द्वारा दलितों के लिए दिये गए अधिकारों का हनन कर रही है। इसके खिलाफ दलित इक्कठे हुए है औऱ 14 सूत्रीय मांग पत्र सरकार को भेजा गया है। दलित शोषण मुक्ति मंच के संयोजक जगत राम ने बताया कि SC/ST वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में 85वें सविधान संसोधन के मुताविक पदोन्ति में आरक्षण लागू नहीं किया जा रहा है। SC/ST कंपोनेंट प्लान के मुताबिक अनुचुचित जाती की संख्या के आधार पर बजट नहीं दिया जाता। इस तरह सरकार बड़े पैमाने पर दलितों का शोषण कर रही है। द
दलितों की हत्यायों, समाजिक भेद भाव छुआछूत जैसी घटनाओं को रोकने के लिए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण के कानून 1989 को सख्ती से लागू किया जाए। इसके अलावा करसोग में विमला देवी की हत्या के बाद उसके परिवार को मुआवजा दिया जाए। नेरवा में सत्या देवी की पेंशन बहाल की जाए। कुमारसे में मीनाक्षी देवी के बिलों का भुगतान किया जाए। अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया जाए।