विधानसभा मॉनसून सत्र के आख़िरी दिन में भटियात विधायक विक्रम जरियाल ने आगजनी से हो रही लोगों की मौत का मामला उठाया। साथ ही उन्होंने एक अग्निशमन केंद्र हर विधानसभा क्षेत्र में होने की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह घटनाएं हर क्षेत्र में हो रही हैं और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाई। सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र पर विचार करेगी।
कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर ने भाखड़ा बांध से विस्थापित हुए बिलासपुर और ऊना के लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का प्रश्न उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि सरकार विस्थापितों के लिए क्या कदम उठा रही है। इसके जवाब में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जिला के विधायकों की कमेटी बनी थी। विस्थापितों ने अपने दुकानों और मकानों के साथ लगती जमीन पर कब्जा कर घर या ढारे बनाये हैं। इसको नियमित करने को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है। विधायकों की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने विस्थापितों की समस्याओं को लेकर रिपोर्ट दी।
डीसी के माध्यम से सरकार को भेजी है लेकिन कुटलैहड़ से विधायक वीरेंद्र कंवर की तरफ से रिपोर्ट डीसी ऊना के माध्यम से प्राप्त नहीं हुई है। शीघ्र ही कमेटी की मीटिंग बुलाकर सभी पहलुओं और कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रख कर जल्द ही विस्थापितों की समस्या का हल करने का प्रयास किया जाएगा।
कांग्रेस विधायक राजेन्द्र राणा ने पूछा कि करुणामूलक आधार पर सरकार खाली पदों पर नियुक्ति दे देगी। 2018 से 31 मई 2020 तक कुल 456 लोगों की भर्तियां की गयी है और अभी भी 1413 पद भरे जाने हैं जिसमें पीडब्ल्यूडी, शिक्षा और पुलिस विभाग में सबसे ज्यादा पद खाली है। 4500 परिवार को नौकरियां मिलनी है सरकार कब इन्हें नौकरी देगी। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि करुणामूलक आधार पर 1 जनवरी 2018 से 31 मई 3020 तक सरकार ने तृतीय श्रेणी के 255 लोगों को और चतुर्थ श्रेणी के 201 लोगों को विभिन्न विभागों में नौकरी दी है। कांग्रेस के कार्यकाल में 50 साल के बाद किसी भी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर करुणामूलक आधार पर नौकरी नहीं दी जाती थी, लेकिन भाजपा सरकार ने नियमों में बदलाव कर रिटायरमेन्ट के दिन भी मृत्यु होने पर उसके परिवार को नौकरी देने प्रावधान किया है। कुल खाली पदों का 5% करुणामूलक आधार पर भर्तियां की जाती है।
अनुबंध कर्मचारियों की भी नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर आश्रितों को नियमित कर्मचारी के समान ही आश्रितों को नौकरी देने का सरकार प्रावधान किया है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद पहले आश्रित को तीन साल के बाद भीतर नौकरी के लिए आवेदन करना होता था लेकिन अब तीन से बढ़ाकर चार साल किया गया है और आय सीमा भी डेढ़ से अढ़ाई लाख किया गया है।सरकार करुणामूलक आश्रितों को जल्द नौकरी देने के लिए वचनबद्ध है।