बीते दिनों बैजनाथ बाजार में किरायदार द्वारा दुकान के फर्जी दस्तावेज तैयार कर दुकान बेचने के मामले को लेकर 4 जुलाई को दर्ज हुई एफआईआर पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। पीड़ित नवीश कुमार वाही निवासी चौक खुला अमृतसर पंजाब द्वारा बार-बार पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर जाने के बावजूद भी पुलिस प्रशासन कार्यवाही करने में नाकाम साबित हो रहा है।
मंगलवार को धर्मशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान नवीश कुमार ने कहा कि 1970 में यह दो दुकानें उनके पूर्वजों ने खरीदी थी और बाद में एक दुकान बेचने के बाद किरायदार ने जमीन अपने रिस्तेदार को बेच दी। इसको लेकर बैजनाथ थाना में आईपीसी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला भी 4 जुलाई को आत्माराम और धीरज कुमार अवस्थी दर्ज हुआ है, लेकिन पीड़ित को 2 महीने बीत जाने के बाद भी न्याय मिलता नहीं दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि 2011 में कोर्ट ने किराएदार को 3 साल का किराया और दुकान का कब्जा देने के आदेश जारी किए थे। लेकिन कोर्ट के आदेशों को अमलीजामा पहनाने में पुलिस प्रशासन खामोश बैठा है। सूत्रों के हवाले से सूचना मिली है कि इस पूरे मामले को लेकर बैजनाथ बार कोसिंल में कार्यरत एक वकील पावर ऑफ अटॉर्नी उनके पास होने का दावा कर रहे हैं जिसके बाद यह सच्चाई सामने लाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर बन चुका है।
जानकारी मिली है कि उक्त वकील उपरोक्त दोनों व्यक्तियों का रिश्तेदार है । इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पावर ऑफ अटॉर्नी दुकान को बेचने के दौरान दी गई है या फिर इससे पूर्व ही ये उक्त वकील के नाम कर दी गई थी। शिकायतकर्ता नवीश कुमार वाही ने अंदेशा जताया है कि आत्माराम और धीरज कुमार उन पर जानलेवा हमला भी करवा सकते हैं जिसकी सारी जिम्मेवारी स्थानीय पुलिस प्रशासन की होगी।
उन्होंने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि उनके साथ हुई धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए और उन्हें दुकान का कब्जा दिलाया जाए। इसके साथ ही पुलिस आज तक इस मामले में संलिप्त अन्य लोगों से भी पूछताछ करने में नाकाम साबित रही है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। इस बाबत बैजनाथ के डीएसपी बी डी भाटिया ने बताया कि इस मामले को लेकर आत्मा राम के राइटिंग स्पेसिमेन लेकर फॉरेंसिक एसएफएल को भेज दिए गए हैं व उसकी रिपोर्ट आने के बाद पुलिस अगली कार्रवाई को अमलीजामा पहनाएगी।