रविवार को पीएम मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संक्रमण के इस संकट के बीच कहानियों के महत्व का जिक्र किया। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। उन्होंने कहा कि हमारे किसान और हमारे गांव आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। वे मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।
पीएम मोदी ने कहा कि हम कल यानि 28 सितंबर शहीद वीर भगत सिंह की जयंती मनाएंगे। मैं समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगत सिंह को नमन करता हूं। शहीद वीर भगत सिंह के जीवन का एक सबसे खूबसूरत पहलू यह है कि वे टीम वर्क के महत्व को बखूबी समझते थे। वे जब तक जिए, सिर्फ एक मिशन के लिए जिए और उसी के लिए उन्होने अपना बलिदान दे दिया। वह मिशन था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, जिसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। ऐसी हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी। भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान और चिंतक भी थे। अपने जीवन की चिंता किए बगैर उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमारे किसान और गांव आत्मनिर्भर भारत को बनाने में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। किसान जितने मजबूत होंगे आत्मनिर्भर भारत की नींव उतनी ही मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि तीन-चार साल पहले महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर कर दिया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र में फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं स्वामी समर्थ फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड। ये किसानों का समूह है। ग्रामीण युवा, सीधे बाजार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलता है। पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाजार चला रहे हैं। इन बाजारों में, लगभग 70 गांवों के साढ़े चार हजार किसानों का उत्पाद सीधे बेचा जाता है, इस प्रक्रिया में कोई बिचौलिया नहीं होता है।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी मानव सभ्यता। कहानी की ताकत महसूस करना हो तो किसी मां को अपने बच्चों को खाना खिलाते वक्त कहानियां सुनाते हुए सुनें। भारत में किस्सागोई की परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी हैं, जहां ‘हितोपदेश’ और ‘पंचतंत्र’ की परंपरा रही है। जहां कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे। कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूंगा, हम, आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई उर्जा भरते देते हैं। कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी की मानव सभ्यता। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं ज़रूर आपसे आग्रह करूंगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए।… आप देखिये कि परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, रिसर्च का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी ऊर्जा आएगी। उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं।