बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मध्य प्रदेश के स्पैशल डीजी पुरूशोतम शर्मा द्वारा अपनी पत्नी की बरेहमी से पीटाई करने और हाथरस गैंगरेप मामले की घटना को देश के माथे पर एक बड़ा कलंक बताया है। शांता ने कहा कि 130 करोड़ के इस देश में मात्र कुछ ही ऐसी घटनायें प्रकाशित हो पाती हैं। बहुत घटनायें तो दवाई और छिपाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि 8 साल पहले दिल्ली का निर्भया कांड फिर हिमाचल का गुडिया कांड और अब यह हाथरस कांड यह सब सिद्ध करता है कि कुछ भी बदला नहीं है। इतना ही नहीं बेटियों पर अपराध बड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के वैदिक काल में – 'यत्र नार्रयत्सु पूज्यन्ते- रमन्ते तत्र देवता' अर्थात जहां नारी की पूजा होती है देवता वहीं रहते हैं, यह हमारा आदर्श था। परन्तु पतित मध्यकाल में पुरूष प्रधान समाज ने -ढोल गंवार शूद्र पशु नारी- ये सब ताड़न के अधिकारी'- अपना आदर्श बना लिया है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और कलंक और क्या हो सकता है कि वही पशु मनोवृति आज भी जीवित है। सभ्य और शालीन समझे जाने बाले सिनेमा जगत में कंगना रनौत जैसी प्रतिभाशाली कलाकारों को भी जिस शर्मनाक यौन शौषण से गुजरना पड़ता है वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है।
शांता ने कहा कि आज से लगभग 5 हजार साल पहले एक द्रौपदी की केवल साड़ी उतारी गई थी तो भारत के इतिहास का अत्यन्त भयानक युद्ध हुआ था। आज भारत में केवल साड़ी ही नहीं सब कुछ यहां तक की आत्मा तक भी कुचल दी जाती है परन्तु पूरा देश देखता रहता है। उन्होने कहा कि यौन शौषण नारी के शरीर नहीं आत्मा की हत्या है। यह हत्या से भी कई गुणा ज्यादा अपराध है। आज के सभ्य कहे जाने बाले युग में भारत में यौन शौषण ही नहीं- केवल रेप ही नहीं – गैंगरेप और उसके बाद हैवानियत से हत्यायें हो रही हैं। इससे बड़ा कलंक भारत के माथे पर और कोई नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि नारियों को केवल वस्तु और हीन समझने की मघ्य कालीन युग की वही पुरूष प्रधान मनोवृति आज भी जीवित है। उन्होंने देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जी से विशेष आग्रह किया है कि सुशांन्त राजपूत आत्महत्या या हत्या की जांच कर रही सीबीआई इस दृष्टि से भी विचार करे और भारत सरकार इस शर्मनाक मनोवृति को समाप्त करने के लिये एक कठोर कानून बनाये।