प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन गैस और सिलैंडरों की सप्लाई को लेकर उत्पादकों ने सरकार के कुछ आला अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसे लेकर उत्पादकों ने जहां सरकार को कोरोना काल में ही करोड़ों रूपए का चूना लगाने के गंभीर आरोप लगाया है। वहीं, दूसरी तरफ अनुभवी और गुणात्मक उत्पाद के लिए मशहूर दो दशख पुरानी फर्मों को इस सप्लाई से बाहर करने का घिनौना खेल खेलने का भी आरोप है। ऑक्सीजन गैस की दुनिया में दो दशक पुराना नाम एन आईएसओ 9001 से 2008 मंडी की मांडव एयर इंडस्ट्री औऱ आरडी गैस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भेजे गए इस पत्र कही प्रतियां प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य और निदेशक को भेजी गई हैं।
इसकी प्रतियां उन्होंने वीरवार को पत्रकारों को जारी करते हुए बताया कि कोविड 19 के चलते भी अधिकारियों ने सरकार को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन फर्मों के संचालकों आरपी कपूर और सुधांशू कपूर द्वारा भेजे गए इन पत्रों में कहा गया कि कोरोना काल में प्रदेश के अस्पतालों को गैस सिलैंडर और गैस सप्लाई करने में दिन रात लगे हुए हैं। मानवीय दृश्टिकोण से भी मदद कर रहे हैं, टांडा मेडिकल कालेज और आईजीएमसी में पहले से ही उनकी सप्लाई तय दरों पर चल रही है। सरकार को डी साइज का सिलैंडर 13500 और बी साइज का 9100 रूपए में पुरानी दर पर ही देने की पेशकश भी लिखित तौर पर की थी। इस दर पर वह कर भी रहे हैं मगर इसके बावजूद भी प्रदेश के 6 अस्पतालों में पाइप लाइन बिछाने औऱ सिलैंडर सप्लाई का ठेका दिल्ली की एक फर्म को 5 करोड़ 65 लाख दिया गया। जिसमें 13500 वाला सिलैंडर 18500 और 9100 वाला 15750 में सप्लाई किया गया। यह सब ऑन रिकार्ड दर्ज है।
इसके दस्तावेज दिखाते हुए इन्होंने कहा कि अब जहां उन्हें पंजाब तक से आक्सीजन सप्लाई की मांग सरकार के माध्यम से आ रही है। क्योंकि उनका एक लंबा अनुभव इस क्षेत्र में है तो प्रदेश सरकार को बदनाम और अस्थिर करने की कोशिश में लगे कुछ अधिकारी जो हर सरकार में इस तरह के काम करने में मशगूल रहते हैं, की पूरी कोशिश है कि ऐसी फर्मों को काम दिया जाए जिनका न तो कोई नाम है, न उत्पाद में कोई गुणवत्ता है। यहां तक कि उन्हें बाहर करने के लिए ऐसी फर्मों जिनका कोई नामलेवा नहीं है के लिए सारे नियम औऱ शर्तें जो राष्ट्रीय स्तर पर तय होती है को दरकिनार किया जा रहा है। यहां तक कि अवार्ड किए गए टैंडरों को भी रद्द किया जा रहा है जबकि इस समय कोविड काल में आक्सीजन के बेतहाशा मांग है और हजारों लोगों की जिंदगियों का सवाल है। चहेती फर्मों के लिए कुछ अधिकारी लोगों की जिंदगियों से खेल रहे हैं ताकि सरकार बदनाम हो।
हिमाचल की इंडस्ट्री को फेल करके मुख्यमंत्री को भी नुकसान पहुंचाने का सरेआम खेल चल रहा है। आरपी और सुधांषू ने बताया कि मंडी के सौली खड्ड में उन्होंने 18 अगस्त 2000 को ऑक्सीजन गैस का प्लांट लगाया था जिसका उदघाटन महामहिम दलाईलामा ने किया था। आज प्रदेश के 9 जिलों में उनकी गैस सप्लाई हो रही है। आईजीएमसी शिमला में भी ऑक्सीजन प्लांट चल रहा है। सभी अस्पतालों में आपात सेवाएं वह उपलब्ध करवा रहे हैं। मगर शायद कुछ गैर जिम्मेवार अधिकारियों जो मुख्यमंत्री जकी शराफत का नाजायज फायदा उठा रहे हैं को केवल अपने हित साधने का काम है। उन्होंने 70 लोगों को रोजगार दे रखा है। जबकि अपरोक्ष तौर पर हजारों लोग इससे जुड़े हुए हैं। यदि अधिकारियों का यही रूख रहा है तो यहां जो बच कुचे उद्योग हैं वह भी पंजाब या दूसरी जगह पर चले जाएंगे जहां से उन्हें लगातार मांग मिल रही है।
प्रधानमंत्री औऱ मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि वह ऑक्सीजन सिलैंडरों औऱ गैस की सप्लाई को लेकर किए जा रहे टैंडरों, महंगे दामों पर ली गई सप्लाई जिसमें सरकार को लगभग तीन करोड़ का चूना लगा है औऱ ऐसे अधिकारियों की कारगुजारी की विजिलैंस, सीआईडी या सीबीआई से जांच करवाएं और आक्सीजन की सप्लाई को सुचारू करते हुए कोरोना काल की जंग को मजबूती के साथ लड़ने में जो सहयोग हम कर रहे हैं उसे प्रोत्साहित करें।