एसएफआई ने साफ किया है कि पिछले समय से इस कोरोना काल मे छात्रों के मुद्दों को शासन और प्रशासन के समक्ष उठाती आ रही है। प्रदेश विश्वविद्यालय को इस कोरोना काल मे छात्रों को सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए थी ठीक इसके उलट शासन और प्रशासन इस समय को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रही है। हिमाचल विश्वविद्यालय के पीजी प्रवेश परीक्षा न करवाकर मेरिट आधार पर प्रवेश देने के फैसले का एसएफआई ने विरोध किया है। इकाई ने कहा कि 17 हजार से अधिक गरीब छात्रों से करीब 800 रुपये फीस वसूलने के बाद अब परीक्षा न करवाने का फैसला लिया है। यह आम छात्रों के साथ धोखा है।
इस मौके पर अध्यक्ष रविंद्र चंदेल ने कहा कि प्रदेश सरकार और विवि कोरोना को अवसर बनाने का पूरा प्रयास कर रहा है। लगातार छात्र विरोधी फैसले उन पर थोपे जा रहे हैं। शिक्षा पर 18 फीसदी जीएसटी और नई शिक्षा नीति छात्रों हितों के खिलाफ है। अब विवि ने कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर हजारों छात्रों के हाथ से विवि में पीजी कोर्स में प्रवेश लेने का मौका छीन लिया है। विवि ने फैसला लिया है कि सिर्फ बीएड की परीक्षा करवाई जाएगी अन्य पीजी कोर्स की परीक्षा नहीं होगी। दोनों परीक्षाओं के लिए बराबर संख्या में आवेदन आए हैं। प्रवेश परीक्षा के लिए 17000 छात्रों ने आवेदन किए हैं। यूजी, पीजी की परीक्षा में 70,000 छात्रों की परीक्षा को कोरोना का संकट नहीं था और अब 17 हजार के लिए कोरोना के खतरे का तर्क दिया जा रहा है।
SFI अध्यक्ष ने कहा कि विवि ने अपनी खामियों को छुपाने को संक्रमण के खतरे का तर्क दिया है। असल में विवि अब तक प्रवेश परीक्षा की तैयारी ही नहीं कर पाया है। यह फैसला प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी करने वाले छात्रों के साथ धोखा है। यदि प्रवेश परीक्षा न हुई तो ये ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ने वाले उन छात्रों के साथ धोखा होगा जो कम सुविधाओं के साथ अपनी पढ़ाई ईमानदारी से करते हैं। लेकिन सुविधाओं के आभाव में वे छात्र शहरी क्षेत्रों के छात्रों से कंपीट करने और बेहतर उच्चतर शिक्षा के लिए, प्रवेश परीक्षा के लिए दिन रात तैयारी करते हैं। इसके बाद विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी कर एक बेहतर भविष्य का सपना लेकर हर साल हज़ारों छात्र विश्वविद्यालय आकर अपनी पढ़ाई पूरी कर एक बेहतर भविष्य बनाते हैं। लेकिन इस साल विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन हजारों छात्रों के सपनों पर पानी फेरने का काम किया है। यदि प्रवेश परीक्षा न कराई गई तो ये विश्वविद्यालय की ही कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान है क्योंकि पहले प्रवेश परीक्षा के नाम पर फीस वसूली गई और उसके बाद एकदम रद्द की जाती है।
इसी कड़ी में एसएफआई कल यानि वीरवार को विश्विद्यालय परिसर में इन्ही मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी। रविंद्र चंदेल ने कहा कि 10 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री को पूरे प्रदेश में मांग पत्र सौंपेगे और 12 अक्टूबर को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किये जायेंगे। इस छात्र विरोधी निर्णय के खिलाफ एसएफआई प्रदेश राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगी और शिक्षा मंत्री का पुतला दहन करेंगी। यदि मांगे नहीं मानी गयी तो एसएफआई कानूनी लड़ाई लड़ेगी जिसके लिए आठ अक्टूबर को एसएफआई उच्च न्यायालय में विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के इस छात्र विरोधी फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर करेगी।