भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी ने 17 करोड़ की लागत से सुपर कम्प्युटर केंद्र स्थापित करने के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक), पुणे से सहमति करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह 650 टीएफ कंप्यूटर पावर के साथ अनुसंधान और विकास कार्यों में उपयोग होगा। एमओयू पर पांच साल की अवधि के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं और आपसी सहमति से इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
सुपरकंप्यूटर काम में अत्यंत तेज और बहुत अधिक मेमोरी वाला कंप्यूटर है। किसी भी अन्य सामान्य पर्सनल कंप्यूटर की तुलना में सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम बहुत तेजी से कोई काम कर सकता है। यह एक साथ कई कार्य कर सकता है और कई मामलों में सामान्य पीसी की तुलना में लाखों गुना तेजी से काम करता है।
आयोजन के दौरान बोलते हुए मुख्य अतिथि संजय धोत्रे, माननीय राज्य मंत्री (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और संचार), भारत सरकार, ने कहा,“राष्ट्रीय सुपरकम्प्युटिंग मिशन भारत सरकार की अहम् पहल है। इसके तहत सी-डैक ने आईआईएससी, आईआईटी और एनआईटी के साथ मिल कर डिजिटल इंडिया और आत्मानिर्भर भारत मिशन के लक्ष्यों को पूरा करने की बड़ी भूमिका निभाई है। इस सहमति करार से सुपरकम्प्युटिंग के क्षेत्र में भारत की ऊंची पहचान बनेगी। इस बड़ी उपलब्धि के लिए सी-डैक और भागीदार संस्थानों को मेरी हार्दिक बधाई।’’
कार्यक्रम में बोलते हुए विशिष्ट अतिथि आशुतोष शर्मा, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने कहा, “पिछले पांच वर्षों में सुपर कम्प्युटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के कम्पोनेंट खरीदने से कहीं आगे बढ़ कर हम ने उनके निर्माण के क्षेत्र में कदम रख दिया है। भारत सरकार के आत्मानिर्भर भारत मिशन के तहत यह मुमकिन हुआ है। इस सहमति करार के साथ सुनहरे भविष्य की मजबूत नींव पड़ी है। अब भारत में ही सुपरकम्प्युटिंग के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर डिजाइन और निर्माण करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।’’
नए सुपरकंप्यूटिंग केंद्र के बारे में बोलते हुए प्रो अजीत के. चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी मंडी ने कहा, “हमारे देश के आईआईटी कम्प्युटर विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर हैं। आईआईटी मंडी में सुपरकम्प्युटिंग केंद्र की स्थापना के साथ हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हर क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्साहित हैं। यह सुपर कम्प्युटर संस्थान के शिक्षकों और छात्रों के साथ-साथ शोधकर्ताओं के प्रशिक्षण की हमारी क्षमता बढ़ाएगा। सी-डैक से यह करार आईआईटी मंडी के अब तक के सफर में एक मील का पत्थर है।’’
सुपरकंप्यूटर अगले चार महीनों में आईआईटी मंडी के यूज़रों के अनुसंधान और विकास कार्य के लिए सेवारत होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) इस प्रोजेक्ट का समन्वयन कर रहे हैं और कार्यान्वयन पुणे के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) कर रहा है। आईआईटी मंडी में लिक्विड-कूल्ड रैक और 200 गीगाबाइट इन्फिबैंड कनेक्टिविटी के साथ सुपरकंप्यूटिंग केंद्र की स्थापना सी-डैक, पुणे करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि आईआईटी मंडी में 2014 से ही संस्थान का अपना उच्च-प्रदर्शन कम्प्यूटिंग (एचपीसी) हेटरोजेनस क्लस्टर है। इस केंद्र के 400 से अधिक रजिस्टर्ड यूजर हैं जो आईआईटी मंडी के शोध समुदाय के लोग हैं। ये लिक्विड मैकेनिक्स, इंजीनियरिंग, जैव प्रौद्योगिकी, आणविक गतिशीलता और कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हैं। नई सुपरकंप्यूटिंग प्रणाली में वर्तमान क्लस्टर से 13 गुना अधिक कंप्यूटिंग पावर होगा। इससे न केवल संस्थान में एचपीसी के उपयोग और अनुसंधान का परिवेश बेहतर होगा बल्कि शोध की क्षमता भी बढ़ेगी। इस उद्देश्य से संस्थान पहले से मौजूद एचपीसी क्लस्टर और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) के साथ नए केंद्र की स्थापना के लिए सेंट्रलाइज्ड सुपरकंप्यूटिंग बिल्डिंग बना रहा है।