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शिमला: PG प्रवेश परीक्षा की मांग को लेकर राज्यपाल से मिले NSUI के छात्र

पी. चंद |

छात्र संगठनों द्वारा प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा पीजी कोर्सों के लिए मेरिट के आधार पर छात्रों के चयन के फैसले का विरोध लगातार जारी है। इसी के चलते एक बार फिर एनएसयूआई के छात्र प्रदेश संगठन महासचिव मनोज चौहान के नेतृत्व में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिले। एनएसयूआई ने पीजी प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाने और अन्य कई मांगो को लेकर ज्ञापन भी राज्यपाल को सौंपा। 

एनएसयूआई ने विवि प्रशासन पर आरोप लगाया कि पहले तो छात्रों से प्रवेश परीक्षा के नाम पर भारी भरकम आवेदन शुल्क वसूला गया और बाद में आवेदनकर्ता छात्रों के साथ धोखा करते हुए मेरिट के आधार पर एडमिशन देने की अधिसूचना जारी कर दी। ऐसे में जब छात्रों ने इस फैसले का विरोध करने के लिए आवाज़ उठाई तो विवि प्रशासन ने दमनकारी नीति अपनाते हुए पुलिस बल का दुरुपयोग करते हुए छात्रों पर लाठियां तक चलवा दी। एनएसयूआई के आरोप है कि जब मेरिट के आधार पर ही प्रवेश देना था तो 50 से 65 प्रतिशत अंको वाले छात्रों से प्रवेश परीक्षा के नाम पर पैसे इकठ्ठा करने के उद्देश्य मात्र से आवेदन लिए गए।

प्रदेश संगठन महासचिव मनोज चौहान ने कहा कि प्रशासन यूजीसी की गाइडलाइनों का हवाला देते हुए प्रवेश परीक्षा न करवाने की बात करता है जो कि सरासर गलत है। जबकि यूजीसी की गाइडलाइन में कहीं पर भी यह नहीं लिखा कि प्रवेश परीक्षा की जगह मेरिट के आधार पर दाखिले लिए जाए। मनोज चौहान ने कहा कि जब एलएलबी, एमबीए और बीएड की प्रवेश परीक्षाएं हो रही है तो फिर अन्य कोर्सों के लिए अलग मापदंड और नियम क्यों? विवि परिसर इकाई अध्यक्ष प्रवीन मिन्हास ने कहा कि योगा, ग्रामीण विकास,  जनरलिज़्म जैसे कई पीजी कोर्स ऐसे है जहां आर्टस, कॉमर्स और साइंस जैसी अलग अलग स्ट्रीमों से छात्र आवेदन करते है तो ऐसे में मेरिट के आधार पर प्रवेश एक विवादित विषय है।

साथ ही एनएसयूआई ने कॉलेज छात्रों की सुविधा के लिए ऑनलाइन स्टूडेंट ग्रीवांस रिड्रेसल पोर्टल खोलने की मांग की जिससे दूर दूर से छात्रों को समस्याओं के हल के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर न काटने पड़े। इसके साथ विवि में हो रही शिक्षक व गैर शिक्षक भर्तियों में पारदर्शिता रखने व आउटसोर्स भारतीयों पर बैन लगाने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई।