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लडभड़ोल को सिविल अस्पताल का दर्जा मिल चुका है पर लोगों को सुविधाएं ना के बराबर: सुरेंद्र पाल

पी.चंद, शिमला |

जोगिन्दरनगर क्षेत्र के पूर्व विधायक ठाकुर सुरेंद्र पाल ने बुधवार को लडभड़ोल के विश्राम गृह बलोटू में पत्रकार वार्ता में क्षेत्र की समस्याओं को सांझा किया।  उन्होंने कोरोना काल में बढ़ी बेरोज़गारी पर चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना  महामारी के दौरान दैनिक भत्ता व छोटे व्यवसाय वाले लोग आर्थिक रूप से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए और सरकार की और से उनके पालन पोषण के लिए कोई स्कीम नहीं चलाई गई।

भारत में अधिक मात्रा में माध्यम वर्ग के लोग है जिससे देश की अर्थव्यवस्था चलती है और लॉकडाउन के दौरान वह सभी लोग घर बैठ गए। परिवार को आर्थिक सहायता नहीं दे पाए। ऐसे में सरकार की ओर से उनकी सहायता के लिए कोई व्यवस्था नहीं करना सरकार की एक बड़ी लापरवाही है। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार से अपील की की वह इस विषय पर सोच विचार करें।

इस दौरान उन्होंने लडभड़ोल अस्पताल में रुके हुए विकास कार्यो पर गहरी चिंता जताई। बताया कि वर्षो पहले जब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से अस्पताल को 25 बैड बनाने की बात की और इस पर कार्य किया गया तो उन्होंने पाया कि कागज़ों में यह अस्पताल पहले ही 25 बैड था और अन्य विकास कार्यो की घोषणा हो चुकी थी पर हकीकत में ऐसा नहीं था।

अस्पताल में डॉक्टर की 8 पोस्ट उस समय उन्होंने सैंक्शन करवाई थी पर सरकारे बदलती गयी और  इन बातों को अंजाम नहीं दिया गया। आज भले ही इस अस्पताल को सिविल अस्पताल का दर्जा मिल चुका है पर लोगों को उतनी सुविधा यहां नहीं मिल पा रही है। अस्पताल होना और उसमें पूर्ण सुविधाएं होना क्षेत्र के लिए बहुत अनिवार्य है।

अस्पताल में स्टाफ की सारे पदों को भरे जाना और इंडोर डे नाईट सुविधा लोगों को देना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमे हर क्षेत्र में विकास होना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जो घोषणाएं केवल कागज़ों में हुई है उन्हें हकीकत में भी पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।