भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने देश और प्रदेश में बढ़ती महंगाई पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। सीपीएम नेता संजय चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा इस पर रोक लगाने में विफल रहने पर माकपा सरकार की कड़ी निंदा करती है। सरकार गत सात माह से कोरोना काल में जनता को कोई भी राहत प्रदान नहीं कर पाई है। इसके उलट इस दौरान पेट्रोल, डीज़ल, राशन, बिजली, पानी, स्कूल और परीक्षा फीस, प्रॉपर्टी टैक्स आदि की दरों में वृद्धि कर जनता पर इस संकट काल में और अधिक आर्थिक बोझ डाला है।
सरकार की अनदेखी के कारण ही आज बाजार में भी खाद्य वस्तुओं जिनमे आलू, प्याज, तेल, सब्जी, दाल आदि की कीमतें आसमान छू रही है। लेकिन सरकार इस पर रोक लगाने के लिए कोई भी उचित कदम नहीं उठा रही है। सीपीएम सरकार से मांग करती है कि बिजली, पानी, राशन, स्कूल व परीक्षा फीस, प्रॉपर्टी टैक्स औऱ अन्य करों मे की गई वृद्धि तुरंत वापिस ले तथा बाजार में खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाकर इन बढ़ी हुई कीमतों को तुरंत कम करे।
राहत के तौर पर आयकर के दायरे से बाहर सभी को 7500 रुपए प्रति माह और 10 किलोग्राम राशन प्रति व्यक्ति मुपुत उपलब्ध करवाए। यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती तो पार्टी सरकार की इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध जनता को लामबंद कर आंदोलन चलाएगी। मार्च, 2020 के बाद जबसे देश व प्रदेश मे कोविड-19 के कारण लॉक डाउन लगाया गया है। जनता के अधिकांश हिस्सा जिसमे मजदूर, किसान, छोटा दुकानदार और अन्य कारोबारी सबका रोजगार व कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और इसके चलते इनका आर्थिक संकट और अधिक बढ़ा है।
लगभग सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुए हैं और इनमें अधिकांश लोग अपनी आजीविका कमाने में आज भी असमर्थ है। पर्यटन, उद्योग, ट्रांसपोर्ट, कृषि क्षेत्र के उद्योग व अन्य कारोबार अधिकांश समय बंद रहने से लाखों लोगों का रोजगार चला गया है और आज भी संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इस संकट के दौर में सरकार का उत्तरदायित्व बनता था कि जनता को राहत प्रदान करती परंतु सरकार ने राहत तो नहीं दी इसके विपरीत जनता पर करों व फीस में वृद्धि कर और अधिक आर्थिक बोझ डाल दिया। जिसमें हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा बिजली व मीटर लगाने की दरों में भारी वृद्धि की गई है।