प्रदेश में दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई और सरकार के कमरतोड़ फैसलों को लेकर पूर्व मंत्री जीएस बाली ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मंत्री ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि इस सरकार का नाम कमरतोड़ सरकार होना चाहिए। प्रदेश सरकार कोरोना संकट और उससे उत्पन बेरोजगारी से त्रस्त आमजन की कमर तोड़ने वाले फैसल ले रही है। सरकार के मंत्री इतना काम कर रहे हैं कि सरकारी गाड़ियां उन्हें दो दो भी कम पड़ रही हैं और उन्हें नई गाड़ियां लेनी पड़ रही हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी कैबिनेट हिमाचल प्रदेश के इतिहास की सबसे नाकाम और बेतुके फैसले लेने वाली सरकार के तमगे की और बढ़ रही है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले बस किराया बढ़ाया। बस किराया भी इतना महंगा हुआ की लोगों को अपने वाहन खासकर दुपहिया वाहन भी आवागमन के लिए सस्ते पड़ने लगे। और फिर उनकी भी रिजिस्ट्रेशन फीस बढ़ा दी गई। बिजली के रेट बढ़ा दिए गए । नया मीटर लगाने का शुल्क बढ़ा दिया गया। सीमेंट के दाम बढ़ाए गए। यही नहीं, टैक्स देकर देश प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने वाले टैक्सपियर को राशन कोटे से बाहर कर दिया। डिपुओं में दीपावली पर 100 ग्राम अधिक चीनी देने की महान घोषणा के बाद तेल और दोलों की कीमतें बढ़ा दी गई।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने केंद्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 1850 रुपए क्विंटल पर किसानों से मक्की की फसल खरीदने की बात कही थी। सरकार की यह घोषणा भी एक जुमला सिद्ध हुई है। मक्की किसको बेचनी है कहां बेचनी थी किसने खरीदी कोई अता पता नहीं है। किसानों से विभाग ने कोई मक्की नहीं ख़रीदी उल्टा किसानों को ओपेन मार्केट में 1000-1200 में फ़सल बेचनी पड़ी है ।
जीएस बाली ने कहा कि सरकार के मंत्री बिना होमवर्क नीति के कुछ भी घोषणाएं कर रहे हैं जिनका ज़मीन पर कोई क्रियान्वयन नहीं हैं । सरकार बताए कितने टन मक्की 1850 रुपय क्विंटल के हिसाब से किसानों से खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा ख़रीदी गई ? किसान मक्की औने पौने दाम पर बेच चुका है । क्या 1850 की ख़रीद बिचौलियों और जमाखोरों से की जाएगी ? आलू प्याज़ टमाटर सब्ज़ियों के दाम आम जनता की पहुंच से बाहर है पर सरकार और खाद्य आपूर्ति मंत्रालय का इसमें कोई एक्शन या जनता को राहत देने का प्लान नहीं है । उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत लोगों को महंगाई से राहत प्रदान करे क्योंकि ग़रीब तबके को चूल्हा जलाना मुश्किल हो चुका है ।