चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि भारतीय सेना ने सीमावर्ती लड़ाकू सैनिकों के कल्याण की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय सेना की कई शाखाओं में अधिकारियों और जवानों दोनों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का एक नया प्रस्ताव बनाया है। इसके अलावा अवैध कारणों से समय से पहले सेवानिवृत्ति की मांग करने वाले कर्मियों की पेंशन में कटौती का प्रस्ताव भी पेश किया गया है।
उन्होंने कहा "हालांकि, हम सक्षम सीमावर्ती सैनिकों की भलाई के बारे में अधिक चिंतित हैं, जो वास्तविक कठिनाइयों का सामना करते हैं और जिनके साहस और वीरता पर, हम सभी को गर्व महसूस करते है।" अधिकारियों और जवानों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और समय से पहले सेवानिवृत्ति की मांग करने वाले कर्मियों की पेंशन पात्रता में कमी के प्रस्ताव सोशल मीडिया की कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं। इसमें सेना से सेवानिवृत्त होने वाले जवानों का समुदाय भी शामिल है। बता दें इस सप्ताह की शुरुआत में प्रस्ताव की जानकारी सोशल मीडिया पर लीक हो गई थी।
जनरल रावत ने कहा कि सीमावर्ती लड़ाका सैनिक सियाचिन, द्रास, तवांग, गुरेज़ और सिक्किम सीमाओं जैसी जगहों पर यूवा अपनी प्रारंभिक नौकरी का समय बिताते है जो ज्यादातर अपने परिवारों से दूर रहते है और शांति कार्यकाल के दौरान भी उन्हें ज्यादातर आंतरिक सुरक्षा या राज्य सरकार के सहायता कार्यों का कार्य दिया जाता है। रावत ने कहा 17 साल की सेवा के बाद अपेक्षाकृत कम उम्र में सेवा छोड़ने के लिए मजबूर सैनिक को प्रति माह लगभग 18,000 रुपये मिलते हैं और उसे अपने परिवार, बच्चों की शिक्षा और आवास की देखभाल करनी पड़ती है। क्या हमें इस प्रकार के व्यवहार को प्रोत्साहित करना चाहिए?
सीडीएस रावत ने पूछा ऐसी परिस्थितियों में उन्हें और उनकी पत्नी को जीवनयापन के लिए दूसरी नौकरी की तलाश करनी पड़ती है। यहां तक की छोटी-मोटी नौकरी भी करना पड़ती है। बेहतर परिलब्धियां प्राप्त करने का एक तरीका विकलांगता लाभ लेना है। क्या हमें इस प्रकार के व्यवहार को प्रोत्साहित करना चाहिए?' अधिकारियों के सेवा कार्यकाल के विस्तार के मुद्दे पर, सीडीएस ने कहा कि कर्नल 54 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं और फिर 58 साल की उम्र तक सेवा करने के बाद बेरोजगार बन कर नए रोजगार की तलाश करनी पड़ती है और उन्हें छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़ती है। रावत ने कहा "क्या यह सेवा प्रदान करने का एक अच्छा तरीका है या हमें उन्हें रैंक के लिए सम्मान के साथ लंबे समय तक सेवा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए?" सीडीएस ने कहा, हम उन्हें ऐसे समय पर सेवा से बाहर नहीं कर सकते जिस समय उनके छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हों और उन्हें अपने परिवार की देखभाल करनी हो।
प्रस्ताव के अनुसार कर्नल और समान रैंक के भारतीय सेना के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु मौजूदा 54 साल से बढ़ाकर 57 साल करने की बात कही गई है। इसी तरह, ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु मौजूदा 56 साल से बढ़ाकर 58 साल करने का प्रस्ताव किया गया है। मेजर जनरलों के मामले में इसे मौजूदा 58 साल से बढ़ाकर 59 साल करने की बात कही गई है। यही आयु नियम वायुसेना और नौसेना के समान रैंक वाले अधिकारियों के लिए प्रस्तावित है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि केवल वे सैन्यकर्मी ही पूरी पेंशन के हकदार होंगे जिन्होंने 35 साल से अधिक की सेवा पूरी की होगी।