मां बगलामुखी के देश में कई मंदिर है लेकिन हिमाचल के कांगड़ा जिला के बनखंडी में स्थित मां बगलामुखी के रूप को शत्रु पर विजय पाने वाला माना जाता है। मां बगलामुखी की उतपति के बारे में कहा जाता है कि सतयुग में जब ब्रह्मांडीय तूफान उठा। इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। इस तूफ़ान का हल न पाकर विष्णु भगवान ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। जो बगलामुखी के नाम से विख्यात हुई।
दसमहाविधाओ में से बगलामुखी आठवी महाविधा देवी है। इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की थी। कांगड़ा में बगलामुखी माँ के बारे में कहा जाता है की सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया तब उसके वध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और सबसे पहले पूजा अर्चना की थी।
माना जाता है कि त्रेतायुग में लंकापति रावण भी मां बगलामुखी का अनन्य भक्त था। मां बगलामुखी रावण की ईष्ट देवी है। रावण ने शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा-अर्चना की थी। लंका विजय के दौरान जब इस बात का पता भगवान श्रीराम को लगा तो उन्होंने भी मां बगलामुखी को प्रश्न करने के लिए उनकी आराधना की थी व लंका में विजय हासिल की थी।
मां बगलामुखी का मंदिर जिला कांगड़ा के बनखंडी गांव में है। यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। मां हल्दी रंग के जल से प्रकट हुईं थीं। राजनीति में विजय प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1977 में पूजा कर चुकी हैं। मां बगलामुखी मंदिर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी, सांसद अमर सिंह, सांसद जया प्रदा, मनविंदर सिंह बिट्टा, कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर, भूपेंद्र हुड्डा, गोविंदा, कपिल शर्मा, मॉरीशस के प्रधानमंत्री सहित कई बड़ी हस्तियां यहां पूजा अर्चना व हवन करवा चुकी हैं।