राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोगों द्वारा बेसहारा छोड़े गए गौवंश के संरक्षण, पुनर्वास और उन्हें आश्रय देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है। अब तक सरकार प्रदेश में 15 हजार 177 बेसहारा गौवंश को आश्रय देने में सफल रही है। राज्य सरकार ने बेसहारा गौवंश के संरक्षण और पुनर्वास के लिए फरवरी, 2019 में ‘गौ सेवा आयोग’ का गठन किया है, जो वर्तमान राज्य सरकार का मुख्य एजेंडा था। गौ सेवा आयोग के सुचारू संचालन हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने मार्च 2018 से प्रत्येक शराब की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर एक रुपये गौवंश सेस लगाने का निर्णय लिया। शराब के सेस से प्राप्त निधि गौ सेवा आयोग के खाते में जमा की जा रही है और अब तक इस खाते में 7.95 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। इसके साथ ही सरकार ने मंदिर न्यासों के निधि संग्रह के 15 प्रतिशत ‘गौ रक्षा राशि’ में देने का निर्णय लिया है, इससे हर वर्ष लगभग 17 करोड़ रुपये जमा होने की संभावना है। इस राशि का उपयोग राज्य में 19 हजार 889 बेसहारा गौवंश का संरक्षण एवं पुनर्वास किया जाएगा। सरकार ने राज्य में गौवंश के संरक्षण के लिए अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल उप-समिति का गठन करने का भी निर्णय लिया। इसके अलावा राज्य सरकार ने वर्ष 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए गौ सेवा आयोग को 15.03 करोड अनुदान भी प्रदान किया है।
उपलब्ध संसाधनों के अनुसार गौ सेवा आयोग ने गौसदन संचालकों के लिए नीति तैयार की है, जिसके तहत पुराने गौसदन, गौशाला और गौ अभ्यारण्य के संचालन के लिए प्रति गौवंश प्रतिमाह 500 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। यह अनुदान केवल उन गौसदनों और गौशालाओं को वित्तीय सहायता के रूप में दिया जाता है, जिन्होंने कम से कम 30 गायों को आश्रय प्रदान किया है। अब तक गौसदन संचालकों को 1 करोड़ 25 लाख 65 हजार 500 वितरित किए हैं। प्रदेश भर में गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित 186 गौसदनों में से 111 गौसदनों को पंजीकृत करने की औपचारिकता पूर्ण करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। राज्य ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड जैसे अन्य राज्यों की तर्ज पर गौ अभयारण्यों और बड़े गौ आश्रयों के निर्माण की भी पहल की है। हिमाचल प्रदेश में गौ सेवा आयोग ने पिछले दो वर्षों में नए गौ अभयारण्यों और गौ सदनों की स्थापना और उन्हें सशक्त करने के लिए 17 करोड़ा 09 लाख 04 हजार 370 रुपये की राशि जारी की है।
आयोग पूरे प्रदेश में गौ अभयारण्य/बड़े गौ सदन स्थापित कर रहा है। अब तक जिला सिरमौर के कोटला बड़ोग में 1.67 करोड़ रुपये व्यय कर गौ अभयारण्य स्थापित किया गया है और इसे बेसहारा गौवंश को आश्रय देने के लिए कार्यशील कर दिया गया है। जिला ऊना में थानाकलां खास में 2.03 करोड़ रुपये रुपये की राशि गौ अभयारण्य निर्माण के लिए जारी कर दी गई है। जिला सोलन में हांडा कुड़ी गौ-अभयारण्य के निर्माण के लिए 2.97 करोड़ जारी किए गए हैं जिसके लिए काम शुरू किया जा चुका है। जिला हमीरपुर के खीरी में एक बड़े गौ सदन के निर्माण कार्य के लिए 2.56 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिसका निर्माण कार्य जल्द ही पूर्ण होने की संभावना है। जिला चम्बा के मंजीर में 1.66 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से गौ अभयारण्य का निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
जिला कांगड़ा के लुथान, कुडांन, जयसिंहपुर और ज्वाली में अरण्य क्षेत्रों की स्थापना के लिए गौ सेवा आयोग द्वारा 4.00 करोड रुपये अग्रिम रूप से जारी किए गए हैं ताकि जल्द ही इनका कार्य शुरू किया जा सके। जिला कांगड़ा के बाई अटारियां में मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित गौशाला के लिए 77.90 लाख रुपये जारी किए गए हैं। आयोग ने जिला सोलन में पांच, ऊना में दो, बिलासपुर में एक, मंडी में चार, हमीरपुर में एक, शिमला में एक, सिरमौर में एक और कांगड़ा में चार नए गौ सदनों के निर्माण और विस्तार के लिए भी 2.18 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिनका निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है। इसके अलावा एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे 186 गौसदनों के विस्तार और आवर्धन के बाद राज्य में और अधिक बेसहारा गौ वंश को आश्रय प्रदान किया जाएगा।
सरकार ने पशुधन की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो नए पशु अस्पताल भी खोले हैं और आठ पशु औषद्यालयों को स्तरोन्नत कर पशु चिकित्सालय बनाया गया है। एक पशु चिकित्सालय को स्तरोन्नत कर उपमण्डलीय पशु चिकित्सा बनाया गया है तथा इन चिकित्सालयों के सुचारू संचालन के लिए 27 पशु चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की गई हैं। पशुपालन मंत्री और गौ सेवा आयोग अध्यक्ष ने कहा कि सभी गौ अभयारण्यों का निर्माण कार्य फरवरी, 2021 तक पूर्ण कर लिया जाएगा और 10 हजार से अधिक बेसहारा गायों को आश्रय प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनवरी, 2022 तक प्रदेश बेसहारा पशु मुक्त राज्य बन जाएगा।
प्रदेश सरकार के राज्य में बेसहारा गायों के संरक्षण के लिए भी उल्लेखनीय कदम उठा रहे हैं। यह प्रदेश में जीरो बजट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए भी सहायक सिद्ध होंगे। गाय का गोबर ओर गौमूत्र औषधीय गुण होते हैं और इनसे बने उत्पादों से प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के प्रत्येक जिले में युवाओं को इसके द्वारा रोजगार और उद्यमियता से जोड़ा जाएगा और गौशालाएं इन उत्पादों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाएंगी तथा उत्पाद किसानों और उद्यमियों द्वारा उपलब्ध करवाएं जाएंगे।