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PM का एक देश एक चुनाव का सुझाव महत्वपूर्ण, सभी राजनीतिक दल इसे करें स्वीकार: शांता

मृत्युंजय पुरी |

बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री का एक देश एक चुनाव का सुझाव मुहत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि देश की आज की स्थिति में अत्यमंत आवश्यक और लाभदायक भी है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस सुझाव को अतिशीघ्र स्वीकार करने की अपील की है। इन्होंने कहा कि इसका सबसे अधिक लाभ धन की बचत है। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव पूरे देश में एक बार होने से सरकार के अरबों रुपये की बचत होगी। भारत में विधानसभा या लोकसभा के चुनाव ही अलग-अलग समय में नहीं होते। बल्कि अलग-अलग समय पर विधान सभाओं के चुनाव या उप चुनाव होते रहते हैं। इन चुनावों पर इतना खर्च होता है जो भारत के विकास की दृष्टि से एक बहुत बड़ा अपराध है।

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण देश भयंकर आर्थिक संकट में है। इस दृष्टि से यह फैसला करोड़ों रुये बचाने और समय की सबसे बड़ी मांग को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि आज भारत में पूरे 5 साल राष्ट्रीय राजनीति चुनाव के मूड में रहती है। विकास का मूड बहुत कम बनता है। अभी बिहार का चुनाव खत्म हुआ और बंगाल के चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। सभी दलों के नेता इस प्रकार पूरे 5 साल चुनाव में ही उलझे रहते हैं। चुनावों में सरकारों का धन तो खर्च होता ही है राजनीतिक दल और उम्मीदवार भी करोड़ों खर्च करते हैं। यह एक कड़बी सच्चाई है कि चुनाव में सभी पार्टियां काले धन का उपयोग भी करती हैं जो एक बहुत बड़ा कलंक है। यदि 5 साल में सारे चुनाव एक बार हो जाएं तो 5 साल में देश एक बार ही कलंकित होगा। आज की परिस्थिति में पूरे 5 साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं और काला धन खर्च होता है जिससे देश बार बार कलंकित होता रहता है।

शांता ने कहा कि ग्लोवल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के अनुसार जिस देश में 16 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोने को मजबूर हैं उस देश में बार बार चुनाव अरबों खर्च करना मूर्खता भी है और अपराध भी। उन्होंने कहा कि अटल के समय में इस विषय पर गंभीरता से विचार हुआ था। मंत्रीमंडल के कुछ सदस्यों की कई बार प्रधानमंत्री से अनौपचारिक बातचीत भी हुई थई। अटल ने एक बार विपक्षी दलों के नेताओं से चर्चा भी की थी।

उन्होंने कहा कि उन्हें याद है कि एक बार जब उन्होंने और शेखावत ने इस योजना का जोरदार समर्थन किया था तो बैठक में एक ही बात पर विरोध हुआ था कि यदि किसी प्रदेश में अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार गिर जाए तो क्या किया जा सकता है। इस पर शेखावत ने सुझाव दिया था कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों को उसके साथ ही वैकल्पिक सरकार का विश्वास प्रस्ताव भी लाना होगा। यदि केवल अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए और वैकल्पिक सरकार न बन सके तो प्रावधान यह हो कि विधानसभा के बाकि समय के लिए विधानसभा भंग कर दी जाएगी और राष्ट्रपति शासन लागू होगा। अटल जी को सुझाव पसंद आया था। सब की राय बनी कि इससे कोई विधायक नहीं चाहेगा कि विधानसभा भंग हो और वे वेकार हो जाएं। इसी कारण राजनीतिक अस्थिरता समाप्त होगी, दल बदल नहीं होगा और स्थिरता भी आएगी। उन्होंने काह कि गरीबी और बेरोजगारी से जूझते भारत जैसे देश में प्रधान मंत्री का यह सुझाव अतिशीघ्र स्वीकार किया जाना चाहिए। कश्मीर में धारा 370 समाप्त करने के बराबर ही यह करना भी राष्ट्रीय महत्व का कार्य होगा।