हिमाचल प्रदेश सरकार दिव्यांगों को लेकर गंभीरतापूर्वक कोई काम नहीं किया है। केन्द्र सरकार ने 7 महिने पहले दिव्यांगों के लिए विकलांगजन अधिकार अधिनियम 2016 लागू किया था उस अधिनियम को भी हिमाचल सरकार लागू नही कर पाई। प्रदेश कांग्रेस सरकार ने विकलांगो के प्रति दया दिखाने के अलावा कुछ नही किया। अंतर्राष्ट्रीय विकलांगजन दिवस से एक दिन पूर्व संवाददाता सम्मेलन में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने ये आरोप लगाए है ।
उन्होंने कहा कि विकलांगो को दया या भीख नहीं चाहिए बल्कि उनको उनके अधिकार दिए जाएं। सरकार उनको नौकरी और शिक्षा का अधिकार दें। सरकार विकलांगजनों के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण भी लागू नहीं कर रही है। नए कानून में माध्यमिक शिक्षा में 4% और नौकरियों में भी 4% आरक्षण देने का प्रावधान है। लेकिन राज्य सरकार के नौकरियों के विज्ञापनों में आरक्षण कोटा कहीं दिखाई नहीं देता।
उच्च शिक्षा में 5% आरक्षण हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से लागू कराया गया है। नए कानून में अन्य बातों के अलावा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को भी विकलांगों की श्रेणी में रख कर उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं देने की बात कही गई है लेकिन हिमाचल सरकार इन बच्चों के विकलांगता प्रमाण पत्र ही नहीं बना रही है।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष ने कहा कि सुंदरनगर स्थित दृष्टिबाधित एवं मूकबधिर बालिकाओं के सरकारी स्कूल और शिमला के ढली में विशेष स्कूल में भी हालत काफी खराब हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इस बारे में एक विस्तृत मांग पत्र भेज कर मांग की गई है कि विकलांगजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई कार्यवाही नहीं होती है तो मजबूरी में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी।