भोपाल गैस त्रासदी की 36वीं बरसी मनाई जा रही है। इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी का स्मारक हमें भोपाल में जल्द बनाना चाहिए ताकि ये स्मारक दुनिया को सबक दे। ये स्मारक हमें याद दिलाए कि कोई शहर भोपाल न बने। हम असुरक्षा से कोई चीज न बनाए जो इंसान पर भारी पड़े, जैसे हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम का उपयोग ना हो ये सीख देते हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि जो गैस पीड़ित भाई-बहन बचे हैं, उनकी ज़िंदगी कैसे गुजरी हम जानते हैं। साथ ही कहा कि मेरी वो विधवा बहनें जिनका सबकुछ त्रासदी में चला गया उनकी 1000 रुपए की पेंशन जो 2019 में बंद कर दी गई थी, दोबारा शुरू की जाएगी ताकि आखिरी समय में वो संकटों से ना गुजरें।
बता दें कि मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15 हजार से अधिक लोगो की जान गई और बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसोसाइनाइट नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2 हजार 259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3 हजार 787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी।