हिमाचल में एक ओर घोटाले का मामला सामने आया है। मामला कांगड़ा जिले से जुड़ा है। यहां सीएम रिलीफ फंड में बंदरबाट की बात सामने आई है। आरटीआई के द्वारा यह जानकारी सामने आई है कि मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से भारी भरकम रकम का मिसयूज किया गया और भाजपा नेताओं सहित पूर्व फौजियों और अपात्रों को यह राशि बांटी गई है। कांगड़ा की सुलह विधानसभा क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रुपये की रकम ऐसे लोगों को दे दी गई, जो इस तरह की मदद के पात्र ही नहीं थे।
स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता पारितोष गुप्ता ने बताया है कि पिछले डेढ़ साल में सीएम रिलीफ फंड से एक करोड़ रुपये की राशि बांटी गई और वो भी ऐसे लोगों को इसके लायक नहीं थे। आरटीआई के आधार पर दावा किया गया है कि यह पैसा पंचायत प्रधानों, कारोबारियों, रिटायर्ड कर्मचारियों, पूर्व फौजियों, दुकानदारों, पत्रकारों और यहां तक कि बीजेपी के पदाधिकारियों तक को दे दी गई। पालमपुर जिला बीजेपी अध्यक्ष और पेशे से ठेकेदार हरि दत्त शर्मा को भी 20 हजार रुपये दिए गए हैं। प्राइवेट स्कूल चलाने वाले व्यक्ति को 15 हजार रुपये दिए गए हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप है कि सीएम रिलीफ फंड से ऐसे लोगों को भी मदद दी गई जो कारोबारी हैं और आयकर देते हैं। ऐसे में फंड का मिसयूज किया गया है। आम तौर पर यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है। लेकिन यहां एसडीएम पालमपुर और एसडीएम धीरा के दफ्तरों से इन लोगों के नाम सीधे चेक जारी करके पैसे दिए गए।
जिला कांगड़ा में सुलह से विपिन परमार बीजेपी के विधायक हैं, जो पहले स्वास्थ्य मंत्री थे और अब मौजूदा समय में विधानसभा अध्यक्ष हैं। फिलहाल, मामले को लेकर कांग्रेस नेता सवाल उठा रहे हैं। वहीं, मामले पर विपन सिंह परमार का कहना है कि उनके पास लोग मदद के लिए आते हैं। गरीब वर्ग को राहत देने का प्रयास किया गया है। उसमें भाजपा के लोग भी शामिल है। आरोप निराधार हैं।