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पंजाब-हरियाणा में सक्रिय किसान आंदोलन, जिन्होंने खेतों का मुंह नहीं देखा वे भी आंदोलन में शामिल: कपूर

मृत्युंजय पुरी |

कांगड़ा चंबा सांसद किसन कपूर ने धर्मशाला में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि किसान आंदोलन सिर्फ पंजाब-हरियाणा में ही सक्रिय है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने आज दिन तक खेतों का मुंह तक नहीं देखा। कुछ क्षेत्रीय दल जिनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है, वह इस आंदोलन को चला रहे हैं। कृषि पर कानून नए नहीं बने हैं। कांग्रेस ने अपने चुनावों में घोषणापत्र में लिखा था कि इसे लागू करेंगे। भारत के पूर्व पीएम राजीव गांधी ने कहा था लोगों को लाभ नहीं मिल रहा। लेकिन आज दिल्ली से चलने वाला पैसा जनता तक पहुंच रहा है। दलालों को खत्म कर दिया। 

उन्होंने कहा कि मोदी ने किसानों के आय दोगुना करने के लिए ही कृषि विधेयक लाये हैं। एपीएमसी के अधिकार इस विधेयक में बरकरार रहेंगे। अंतर राज्य व्यापार को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्यों से बाहर अब कोई कर नहीं लगेगा। वन नेशन वन मार्केट बनाया है। इसलिए अन्य राज्यों में अपने उत्पाद को बेचने पर टैक्स नहीं लगेगा, जहां मर्जी अपनी फसल बेच सकता है।

कपूर ने कहा कि बहुत से किसान इस बिल का समर्थन कर रहे हैं। कुछ एक लोग विरोध कर रहे हैं। इसमें कांग्रेस और अकाली दल शामिल हैं। मध्य प्रदेश में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के बाद मध्य प्रदेश में कृषि बढ़ोतरी हुई है। इसका हिमाचल का भी उदाहरण है। लाहुल स्पीति में मैकेंन फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड काम किया। इस साल यहां का आलू सबसे महंगा बिका है लाहुल के किसानों का। आंदोलन वालों की कोर्ट में जाने की शर्त को भी मान लिया है फिर भी आंदोलन चल रहा है।

कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन टुंदू के बयान पर कपूर ने कहा कि उनको कुछ भी कहने से पहले अपने आप मे झांक लेना चाहिए। पांच सालों में उनके खिलाफ तीन केस चल रहे हैं। उन्हें अपना देश देखना चाहिए। हमारे आंतरिक मामले में हस्तक्षेप न करें। अमरेंद्र सिंह ने सबसे ज्यादा आंदोलन भड़काया है। आज के इतिहास में सबसे ज्यादा आंदोलन भड़काने वाले मुख्यमंत्री हैं।

सांसद ने कहा कि राहुल गांधी और कमल नाथ राय ने मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान कर्ज माफ को कहा था और किसानों के झूठे कर्ज माफ के पर्चे बांट दिए। ब्याज की दर 18 फीसद कर दी। पंजाब का किसान अपनी फसल 2 रुपये किलो बेचने को मजबूर हैं तो अमरिंदर बताए उन्होंने ऐसे किसानों के लिए क्या किया। शरद पवार जोकि पहले एपीएमसी एक्ट को बदलने को कह रहे थे और इसको लेकर पत्र लिखतें रहे आज आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। ये बिल पूरी तरह से किसानों के हक में है। इससे निश्चित ही किसानों की आय दोगुना होगी।