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निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशालय के बाहर किया प्रदर्शन

पी. चंद |

छात्र अभिभावक मंच का निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन लगातार जारी है। इसी कड़ी में मंच ने निजी स्कूलों द्वारा टयूशन फीस के साथ सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली और कैबिनेट द्वारा डीसी की अध्यक्षता में कमेटियों के ज़रिए फीसों की समीक्षा के फैसले के खिलाफ शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। मंच ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने एनुअल चार्जेज़ और अन्य चार्जेज़ सहित पूर्ण फीस वसूली के फैसले को डीसी की अध्यक्षता में बनने वाली कमेटियों के ज़रिए जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा। 

इस मुद्दे पर शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर अभिभावक एकत्रित हुए और प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग और निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे। इस दौरान शिक्षा निदेशक अपने कार्यालय से उठकर धरना स्थल के नजदीक मुख्य गेट पर आ गए व मंच के प्रतिनिधियों से ज्ञापन ग्रहण किया। उन्होंने अभिभावकों की मांगों को सुना व इस संदर्भ में आश्वासन दिया कि सरकार को पत्र के माध्यम से सूचित करके इस संदर्भ में उचित कदम उठाने का आग्रह किया जाएगा। मंच ने ज्ञापन सौंप कर टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्ज सहित सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने मांग की है कि टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने हेतु प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय तुरन्त अधिसूचना जारी करें। मंच के सदस्यों ने शिक्षा अधिकारियों पर निजी स्कूलों पर नरम रहने का आरोप लगाया।  

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा तथा 28 दिसम्बर को भी प्रदर्शन होगा। उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़ व अन्य चार्जेज़ सहित पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण वहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने प्रदेश सरकार की 23 दिसम्बर 2020 की कैबिनेट बैठक में निजी स्कूलों के संदर्भ में लिए गए निर्णय पर हैरानी जताई है क्योंकि यह निर्णय पूरी तरह अव्यवहारिक है व इस से अभिभावकों को कोई न्याय नहीं मिलेगा। इस निर्णय से अभिभावकों को निराशा ही हाथ लगी है। उन्होंने मांग की है कि डीसी की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर फीसों व एनुअल चार्जेज़ सहित अन्य चार्जेज़ की समीक्षा के निर्णय को रद्द करके प्रदेश सरकार सीधे अधिसूचना जारी कर इनकी वसूली पर तुरन्त पूर्ण रोक लगाए। 

विजेंद्र मेहरा ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री पर अभिभावकों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी बयानबाजी से पलट कर बिल्कुल तर्कहीन निर्णय कैबिनेट बैठक में लिया है। डीसी की अध्यक्ष में बनने वाली कमेटियां सिर्फ आई वाश हैं व भ्रामक हैं। इस से केवल निजी स्कूल प्रबंधनों का ही फायदा होगा व अभिभावकों का शोषण बदस्तूर जारी रहेगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी तरह के चार्जेज़ पर रोक लगाने के लिए तुरन्त अधिसूचना व आदेश जारी किए जाएं। उन्होंने कहा है कि केवल अखबारी बयानों से बात नहीं बनेगी व निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे चार्जेज़ पर रोक लगाने के लिए सरकार को लिखित आदेश जारी करने पड़ेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार कैबिनेट के 23 दिसम्बर की अधिसूचना को निजी स्कूलों की मनमानी को बढ़ाने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि यह आदेश निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे सभी तरह के चार्जेज़ के कदम को कानूनी रूप दे देगा।