जोगिंदरनगर उपमंडल के एक गांव में इसी साल सितंबर महीने में एक तांत्रित द्वारा नाबालिग का यौन शोषण कर उसे गर्भवती करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। अब इस मामले में एक औ कड़ी जुड़ गई है। नवांकुर एजुकेशनल एंड वेल्फेयर सोसायटी, न्यूज, ने इस बारे में एक पत्र बाल विकास अधिकार संरक्षण आयोग को भेज कर यह जानना चाहा है कि इस नाबालिगा ने जो टूटी कंडी शिमला के नारी निकेतन में रहते हुए इसी महीने की 7 तारीख को एक बच्चे को जन्म दिया है वह बच्चा आखिर है कहां।
संस्था के प्रधान भूपेंद्र गुलेरिया ने बताया कि उक्त नाबालिगा के 7 दिसंबर को प्रसव के दौरान के एक लड़के को जन्म दिया, मगर दो दिन बाद यह नाबालिगा अपने गांव अपने पिता के पास पहुंची तो उसके पास बच्चा नहीं था। इस बारे में उसे भी कुछ मालूम नहीं है न उसके अनुसार उसे बच्चे के बारे में कुछ बताया ही गया है। मामले में शोर मच जाने के बाद कहीं से यह बात सामने आई कि बच्चे को गोद दे दिया गया। अब संस्था ने सवाल उठाए हैं कि क्या जन्म के दिन ही गोद लेने जैसी लंबी प्रक्रिया को पूरा करके कोई बड़ा कारनामा अंजाम दिया गया। क्या गोद लेने वाले को पहले से ही सूचना दे दी गई थी कि बच्चा पैदा होगा और जन्म के दिन ही उसे दे दिया जाएगा।
संस्था ने इस पूरे मामले की छानबीन करने का आग्रह किया है और बच्चों व बेसहारा महिलाओं को संरक्षण देने वाले संस्थानों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। संस्था को आशंका है कि इस मामले में कोई बड़ी गड़बड़ी है। गोद लेने की प्रक्रिया बेहद लंबी और कानूनी है जिसमें समय लगता है। मगर इस मामले में जो कुछ हुआ है वह संस्थानों का जो कार्य है वह ही संदेह के घेरे में है।
वहीं, इस बारे में जिला बाल संरक्षण अधिकारी डी आर नायक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला जब उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने एक टीम गठित करके जांच की। जांच में पाया गया कि बच्चे को गोद दिया गया है और यह लड़की के पिता जो उसके संरक्षक हैं की सहमति ली गई है। उनके अनुसार गोद लेने की प्रक्रिया की प्रति भी उनके पास मौजूद है जिसे लड़की के पिता को भी दिया गया है। उनके अनुसार चाइल्ड प्रोटेक्शन के तहत यह काम हुआ है तथा इसे बकायदा रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकृत किया गया है।