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1500 से ज्यादा आत्महत्याएं और मौतेंं यूटर्न सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि : सुक्खू

पी. चंद |

कांग्रेस विधायक और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जयराम सरकार पर हमला बोला है। सुक्खू ने कहा कि यूटर्न सरकार के तीन साल विफलताओं के नाम रहे। कोरोना को नियंत्रित करने के बजाए फैलाने का काम किया। कोरोना से 800 से अधिक मौतें हुईं और 700 से ज्यादा लोगों ने महामारी के कारण आत्महत्या की। सरकार की तीन साल की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।
 
सुक्खू ने सरकार से पूछा कि इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है। इसकी जवाबदेही किसकी है। सरकार की ऐसी कोई उपलब्धि नहीं, जिस पर प्रदेश नाज़ कर सके। भाजपा सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है। प्रदेश में 8 लाख से अधिक बेरोजगार हैं, जिन्हें रोजगार देने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। बेरोजगारों को रोजगार भत्ते के नाम पर ठगा जा रहा है।
 
सूक्खू ने कहा कि मुख्यमंत्री की अफसर और मंत्रियों की मुख्यमंत्री नहीं सुनते। सरकार में तालमेल नाम की कोई चीज नहीं है। भाजपा में अंदरखाने छिड़ी वर्चस्व की जंग का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। इससे प्रदेश को भारी नुकसान हुआ है, लोगों की समस्याओं की अनदेखी हो रही है। प्रदेश में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर हैं। आपदा को अवसर बनाने पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी तक जा चुकी। सचिवालय में भ्रष्टाचार बड़े स्तर पर होने के आरोप लगे हैं। 

सुक्खू ने ये गिनाई सरकार की बड़ी नाकामियां

-भाजपा नेताओं ने कोरोना को ही कमाई का अवसर बना डाला। स्वास्थ्य विभाग में घोटाला उजागर हुआ जिसके चलते तत्काल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी गई। सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप अपने ही लगा रहे हैं। सीएम को अपना प्रधान सचिव तक बदलना पड़ा। कोरोना के अनियंत्रित होने में भाजपा नेताओं की बड़ी भूमिका रही।

-नशाखोरी प्रदेश में चरम पर है। नशा तस्करों को राजनीतिक शह मिल रही। आज युवा नशे की गिरफ्त में फंस चुका है। सरकार सिर्फ भाषण देने तक सीमित है। 

-अवैध खनन पर सरकार शिकंजा नहीं कस पा रही। खनन माफिया बेलगाम हो चुका है और उसे पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। माफिया के साथ नेता और अफसर भी मिले हुए हैं। 

-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कसौली में अवैध निर्माण गिराने गई टाऊन एडं कंट्री प्लानिंग विभाग की अधिकारी शैल बाला की गोली मार कर हत्या कर दी गई। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को हल्के में लेते हुए महिला अधिकारी को उचित सुरक्षा तक मुहैया नहीं करवाई। मौके पर मौजूद पुलिस वाले भी भाग खड़े हुए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाई। 

-सरकार के 3 साल के कार्यकाल में लगभग 1000 बड़े अपराध हुए, जिनमें दुष्कर्म, छेड़छाड़ और हत्याएं शामिल हैं। प्रदेश में दलितों के साथ भेदभाव हो रहा है। स्कूल में अनुसूचित जाति के बच्चों को अलग बिठाया जाता है।

– शिमला में घोर पेयजल संकट के कारण पूरी दुनिया में हिमाचल प्रदेश की किरकिरी हुई। पर्यटन पर बुरा असर पड़ा। देशी-विदेशी मीडिया में सरकार को प्रशासनिक तौर पर फेल करार दिया गया। इसके चलते शिमला का समर फेस्टिवल तक रद्द हुआ। इस दौरान हिमाचल हाईकोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा और चीफ जस्टिस पेयजल आपूर्ति को पटरी पर लाने के लिए खुद सड़क पर उतरे। इससे पहले भी प्रदेश में सरकारें रहीं लेकिन इस तरह का जल संकट कभी खड़ा नहीं हुआ। सरकार, नगर निगम और अधिकारियों में समन्वय न होने के कारण अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई।

-उड़ान योजना भी प्रदेश सरकार की बड़ी असफलता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा था कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई सफर करेगा, मगर 1900 रुपये तय की गई टिकट 19 हजार रुपये से ज्यादा में मिल रही है। 

-सरकार शिक्षकों की जरूरत पूरा करने में भी नाकाम रही है, जिस कारण बच्चे पढ़ाई छोड़कर निजी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। सरकार का अब तक का कार्यकाल जश्न और कर्मचारियों के तबादलों में ही बीत गया। 

-महंगाई पर लगाम लगाने में भी जयराम सरकार नाकाम रही। गैस सिलेंडर के दाम, बिजली, पानी की दरों में भारी वृद्धि हुई। बस किराया बढ़ाकर जनता पर आर्थिक बोझ डाला गया। 

-गिरिपार के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा सरकार नहीं दिला पाई। बड़े-बड़े चुनावी वादे तो किए लेकिन लोगों को छलने का ही काम किया। 

-सेब उत्पादक किसानों को कोई राहत नहीं दी गई। सेब पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाया। किसानों के साथ झूठा वादा कर छल किया।