प्रदेश के सांख्यिकी विभाग के एक कर्मचारी के शिमला से कुल्लू ट्रांसफर करने के मामले में हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अब किसी भी कर्मचारी का तबादला मंत्रियों के साथ विधायकों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की सिफारिश पर नहीं होगा। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश सरकार के विभागों के निदेशक या विभाग प्रमुख तबादला मामले में नेताओं के तबादलों से संबंधित सिफारिश को नकार सकते हैं। ऐसा करने का उन्हें अधिकार है।
इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने प्रेम ठाकुर का तबादला शिमला से कुल्लू करने का आदेश निरस्त कर दिया। उच्च न्यायालय के न्यायधीश धर्मचंद चौधरी और न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया। प्रेम ठाकुर का तबादला शिमला से कुल्लू कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह के डीओ नोट के बाद मुख्यमंत्री के डीओ पर विभाग ने किया था। इस पर कर्मचारी ने ट्रिब्यूनल में दस्तक दी थी। ट्रिब्यूनल ने कर्मचारी को विभागीय सचिव के समक्ष अपना रिप्रेजेंटेशन देने को कहा।
लेकिन, कर्मचारी इस मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंचा। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और ऐसे लोगों जिनका कार्यपालिका अथवा विधायिका से कोई सरोकार नहीं है, उनके कहने पर कोई तबादला नहीं किया जाना चाहिए। विधायिका अथवा कार्यपालिका से सरोकार न रखने वाले लोगों को किसी भी कर्मचारी की तैनाती अथवा तबादले को लेकर सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है।
यदि किसी कर्मचारी के कामकाज को लेकर किसी नेता और व्यक्ति को शिकायत है तो उसके मामले को संबंधित मंत्री, विभागीय सचिव या फिर विभाग के प्रमुख को लिखा जा सकता है और इसकी जांच पर आगामी कार्रवाई की जा सकती है।