कोरोना काल में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में कारोना से 264 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा दूसरी बीमारियों से मरने वालों की संख्या 1310 रही। आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ. जनक राज ने साल 2020 के कार्यों और चुनौतियों का ब्यौरा मीडिया के सामने रखा। उन्होंने बताया कि साल 2019 में 7 लाख 86 हजार ओपीडी हुई जबकि 2020 में 4 लाख 19 हजार मरीजों को ओपीडी में देखा गया है ।
अस्पताल में 2020 के दौरान 8,262 मेजर ऑपरेशन किये गए। जबकि 18,555 माइनर ऑपरेशन किए गए। कोरोना काल के बाबजूद इसके 23 हजार 131 कैंसर की ओपीडी की गई। जिसमें 15, 812 कीमो थेरेपी की गई। 4,015 एमआरआई, 76 हजार एक्सरे इस दौरान किए गए। कैंसर अस्पताल में उपचार बाधित नहीं हुआ और इमरजेंसी ऑपरेशन भी मरीजों के चलते रहे।
5,725 आयुष्मान भारत के तहत 10 करोड़ 6 लाख के मरीजों का ईलाज जबकि हिम केयर योजना के तहत 9021 लोगों का ईलाज हुआ जिस पर 17 करोड़ ख़र्च हुआ। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना के अंतर्गत 16 लोगों को उपचार किया गया जिसमें 37 लाख रुपये खर्च किया गया। मुख्यमंत्री राहत कोष के अन्तर्गत 7 लोगों का ईलाज किया गया जिसमें 7 लाख रुपए खर्च किया गया। पूरे वर्ष विभिन्न सरकारी योजनाओं पर 28 करोड़ 61 लाख के लगभग मरीजों के उपचार पर खर्च किया गया।
80 नए वेंटिलेटर सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए। आईजीएमसी में कारोना मरीजों का ईलाज करते हुए 358 स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हुए हैं। जिसमें 60 डॉक्टर शामिल है।आईजीएमसी में अभी तक 1166 मरीज आये हैं जिनमें 264 की मौत हुई, 57 लोगों का उपचार चल रहा है। एक भी स्वास्थ्य कर्मी की आईजीएमसी में मौत नहीं हुई है।
नए स्ट्रेन वायरस से संक्रमित संभावित व्यक्ति के लिए अलग से आईजीएमसी में दो बिस्तर का इंतजाम किया गया है और उपचार के लिए भी अलग से डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मी की टीम तैनात की गई है। यह वायरस कोरोना वायरस का ही नया स्वरूप है और इस वायरस से संक्रमित होने की ज्यादा संभावना है।