हिमाचल प्रदेश में सेब आदी की बागवानी फिर बड़े खतरे में पड़ सकती है। पिछली बार की तरह एक बार फिर हिमाचल ने बागवानी के लिए इटली से पौधों की खरीदारी की है। जानकारी के मुताबिक, विश्व बैंक की सहायता से 1169 करोड़ रुपये के बागवानी मिशन के तहत इन पौधों को खरीदा गया है और ये इस साल बागवानों को वितरित किए जाएंगे।
इससे पहले हिमाचल सरकार पर इटली से वायरस वाले पौधे लाने का आरोप लग चुका है। साल 2016 में इटली से खरीदे गए पौधों में वायरस पाया गया था जिसे लेकर कई सवाल खड़े किए गए थे। बागवानी विश्वविद्यालय नौणी और फरीदाबाद लैब की रिपोर्ट में उनमें वायरस मिला था।
वेब पोर्टल के मुताबिक, इस बार विश्व बैंक के प्रोजेक्ट के तहत इटली से आयात किए गए इन पौधों में सेब की जेरोमाइन, रेड बिलॉक्स, स्कारलेट स्पर-3, बकाई गाला व मूडी गाला किस्में शामिल हैं। ये पौधे अगस्त व सितंबर में हिमाचल पहुंच चुके हैं। इस दौरान बागवानी विभाग निदेशक हेमराज शर्मा ने बताया कि इस बार भी इटली से पौधे लाए गए हैं। इन पौधों को बागवानों को बेचने के संबंध में अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है और सभी पौधों के दाम भी निर्धारित नहीं किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल एक सेब उत्पादित राज्य है और यहां हर साल सेब की करोड़ों की खेती की जाती है। कुल कारोबार तीन से चार हजार करोड़ रुपये का रहता है। जहां एक ओर इटली से आए पौधों में इस बार वायरस होने का डर बना हुआ है, वहीं इटली के पौधों में अपनी खासियत भी होती है। ये पौधे 2 से 4 महीने के अंतराल में ही तैयार हो जाते हैं।