सामान्य वर्ग के सयुंक्त मंच ने देश व प्रदेश की सरकारो पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। एक तरफ तो समानता की बात की जाती है दूसरी तरफ जाती के आधार पर नौकरी व अन्य लाभ दिए जाते हैं जो कि सामान्य वर्ग के साथ भेदभाव है। सामान्य वर्ग सयुक्त मंच ने 3 महीने के अंदर सरकार से सवर्ण आयोग के गठन की मांग की है अगर ऐसा नही किया जाता है तो सवर्ण समाज ने सरकार के खिलाफ़ पूरे देश मे आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी है।
सामान्य वर्ग सयुंक्त मंच के प्रदेश अध्यक्ष केएस जम्वाल ने कहा कि आरक्षण जाति के आधार पर नही बल्कि आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिये और सम्पन्न परिवारों को आरक्षण की श्रेणी से बाहर रखना चाहिए। एससी एस्टी एट्रोसिटी एक्ट में सरकार ने सामान्य वर्ग के मौलिक अधिकार को समाप्त कर दिया है जिससे झूठे केस बनाए जा रहे है और इससे आपसी भाईचारा समाप्त हो रहा है।
वहीं, बाहरी राज्यों के एससी व एसटी के लोगों को भी हिमाचल में सामान्य वर्ग के कोटे में नौकरी पाने के लिए अनुमति दे दी गई है। मेडिकल NIT व IIT जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों में एससी एसटी के लिए फीस पूर्ण रूप से माफ कर दी गई है। सामान्य वर्ग के युवाओं के लिए NIT में दोगुनी 60 हजार IIT में 2 लाख रूपए कर दिया है। मेरिट, स्कॉलरशिप में भेदभाव, SC – ST में मेरिट में भेदभाव से समाज का और विघटन करके सामान्य वर्ग के साथ अन्याय किया जा रहा है।
सामान्य वर्ग युवा मोर्चा के अध्यक्ष रुमित ठाकुर ने कहा कि 3 महीने के अंदर अगर प्रदेश सरकार सवर्ण आयोग का गठन नही किया जाता है तो प्रदेश का सवर्ण समाज राजधानी में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल देगा। सवर्ण नेता आज सामान्य वर्ग के हितों की बात नही कर रहें हैं ऐसे नेताओं को चुनावों में बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।