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मालरोड पर किसानों के पुलिसिया दमन की घटना लोकतंत्र के लिए काला धब्बा: सीटू

पी. चंद |

शिमला के माल रोड़ पर किसानों के पुलिसिया दमन की सीटू राज्य कमेटी ने घोर निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए काला धब्बा करार दिया है। राज्य कमेटी ने मीडियाकर्मियों के साथ पुलिसिया धक्कामुक्की को तानाशाही करार दिया है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने गिरफ्तार किसानों को तुरन्त रिहा करने की मांग की है। उन्होंने बेकसूर किसानों व मीडियाकर्मियों से धक्कामुक्की करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन किसानों के आंदोलन को बलपूर्वल दबाना चाहती है। आज के माल रोड़ के किसानों के पुलिसिया दमन ने लोकतंत्र व हिमाचल प्रदेश को शर्मसार किया है। मीडियाकर्मियों से पुलिसिया धक्कामुक्क़ी लोकतंत्र पर सीधा हमला है। पुलिस यह बताए कि किसानों ने कोई नारा तक नहीं लगाया और न ही वे चार से ज़्यादा की संख्या में प्रदर्शन कर रहे थे तो फिर धारा 144 कैसे और कहां टूटी। लोकतंत्र में तानाशाही का कोई स्थान नहीं है। अपनी कारगुज़ारी को सही साबित करने के लिए पुलिस व सरकार अब अनेकों कहानियां भी गढ़ सकते हैं जैसे गुड़िया कांड में किया था। जब सत्तासीन पार्टियों के सैंकड़ों लोग रिज पर प्रदर्शन करते हैं तो यही पुलिस खामोश रहती है परन्तु जब देश के किसान व मजदूर जनता की आवाज़ बुलंद करते हैं तो उनके साथ धक्कामुक्की,बदसलूकी व मारपीट की जाती है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि किसानों की मांगों व दमन के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में सीटू राज्य कमेटी 24 जनवरी से प्रदेश के हर जिला के लिए शिमला, हमीरपुर व कुल्लू से तीन जत्थे चलाएगी। इन जत्थों के माध्यम से किसान विरोधी तीन काले कानूनों व बिजली विधेयक 2020 के बारे में जनता को जागरूक किया जाएगा व किसान आंदोलन को मजबूत किया जाएगा।