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राजधानी शिमला में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 72वां गणतंत्र दिवस, राज्यपाल ने ली परेड की सलामी

पी. चंद |

शिमला के रिज मैदान में राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस मनाया गया। जिसमें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की ओर ध्वजारोहण किया। राज्यपाल ने मार्च पास्ट की सलामी ली। पुलिस, सेना और अन्य टुकड़ियों ने रिज मैदान पर परेड की। 72 वें गणतंत्र दिवस पर हिमाचल प्रदेश में काफी धूम रही। शिमला में पुलिस बल, सेना, होम गार्ड स्काउट एंड गाइड, एनसीसी एनएसएस की 22 दस्तों ने परेड में हिस्सा लिया। इस दौरान रिज मैदान पर प्रदेश की सेना, भाषा एंव संस्कृति विभाग, पर्यटन ,उद्योग, नगर निगम सहित कुल 16 विभागों ने अपनी सुंदर झांकिया भी प्रदर्शित की गई। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के अलग अलग जिलो के प्रसिद्ध लोक गीतों कि झलक भी रिज मैदान में देखने को मिली।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने गणतंत्र दिवस की प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे संविधान से जो हक मिला है उसके साथ ही हमें कर्तव्य भी निभाना है । इस विषय को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई महत्वकांक्षी योजनाओं के चलते प्रदेश की जनता से आह्वान करना चाहूंगा कि वह इन योजनाओं का लाभ उठाकर हिमाचल प्रदेश को ऊंचाइयों की ओर ले जा सके । 


 
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने देशवासियों के साथ-साथ प्रदेश की जनता को भी गणतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी । उन्होंने कहा कि देश एवं प्रदेश की जनता को संविधान के अनुसार बहुत सारे अधिकार प्राप्त है और भारत बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है परंतु यह साल कोरोना वैश्विक महामारी के चलते संकट भरा रहा और तमाम गतिविधियां प्रभावित हुई। इस दौर में गणतंत्र दिवस विभिन्न परिस्थितियों में बनाया जा रहा है जो कि अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है । तो वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में तथा मेडिकल वैज्ञानिकों के सफल प्रयासों के चलते कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए देश के प्रधानमंत्री के साथ साथ वैज्ञानिकों को भी बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में 50 वर्ष का सफलतापूर्वक सफर पूर्ण किया है और कोरोना कार्य के चलते जो काम प्रभावित हुए हैं उन कामों को तेज गति के साथ इस वर्ष किया जाएगा।

किसान आंदोलन के लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि किसान आंदोलन में अब कोई ऐसा कोई कारण नहीं बनता। आंदोलन से किसानों का नुकसान हो रहा है अथवा उनका हनन हो रहा है। इस बिल के माध्यम से किसानों का भला करने का ही मकसद से केंद्र सरकार का है। यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह दौर भी बहुत बड़ी उम्मीद के साथ जल्द ही समाप्त हो जाएगा ।