भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राकेश शर्मा बबली ने कहा कि किसानों की आड़ में जिस तरह उपद्रवियों द्वारा पुलिस पर हमला किया गया , पत्थरबाजी और तलवारबाजी की गई , पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया ये काफी शर्मनाक और दुखद है । इस हिंसा की जवाबदेही कथित किसान संगठनों और उनके कथित स्वयंभू नेताओं की है । किसान आंदोलन की आड़ में जो राजनीति कर रहे हैं और जो इस आंदोलन के जरिए राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, उन्होंने ही इस आंदोलन को भड़काया है और इसे उग्र बनाया है ।
उन्होंने कहा किसान आंदोलन को हिंसक बनाने और इसे भड़काने के पीछे राहुल गांधी जैसी तमाम विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों की चाल है। राकेश टिकैत , गुरनाम सिंह चढूनी, लक्खा सिधाना , दीप सिधू , सतनाम पन्नू , योगेंद्र यादव , सरवन पंढेर जैसे राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए किसानों के नाम पर अचानक निकल आने वाले नेताओं ने इस आन्दोलन को हिंसक बनाया । ऐसा प्रतीत होता है कि लालकिले पर तिरंगे का अपमान और दिल्ली में 26 जनवरी के दिन बड़े पैमाने पर हिंसा इन संगठनों का पहले से ही बनाया गया प्लान था जिसे कांग्रेस , आम आदमी पार्टी , सपा और वामपंथी पार्टियों ने भड़काया ।
राकेश ने कहा दिल्ली हिंसा की तस्वीरों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी दिखाई दे रहे हैं । इन नेताओं के उकसावे वाले कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं । दीप संधू से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना – देना नहीं है । विगत 6 दिसंबर 2020 को ही स्वयं सन्नी देओल ने ट्वीट कर इसका सार्वजनिक खंडन कर दिया था । और यदि बात फोटो की ही है तो दीप संधू के कई कांग्रेस नेताओं और आम आदमी पार्टी नेताओं के साथ फोटो मीडिया में उपलब्ध है । दसवें राउंड की वार्ता से पहले भी राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस आंदोलन के समाधान की संभावना धूमिल कर दी थी ।
उन्होंने कहा CAA प्रदर्शन के समय भी राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में एक रैली की थी जिसके ठीक बाद ही हिंसा भड़क उठी थी । उन्होंने लगातार बयानबाजी कर इस आंदोलन को उग्र और हिंसक बनाने में मदद की । 25 जनवरी को भी राहुल गांधी ने बयान देकर इस आंदोलन को उग्र बनने में मदद की । किसान नेताओं के हाथ में आंदोलन का किसी तरह कोई कंट्रोल नहीं था , ना उन्होंने इसे संभालने की कोई कोशिश की । इन्होंने अपने ही बनाए नियमों की धज्जियां उड़ा दी ।
ना ही ट्रैफिक रूट का पालन किया गया , ना ही ट्रॉली ना ले जाने के नियम का पालन किया गया , न एक ट्रैक्टर पर अधिकतम 5 लोगों के होने का पालन किया गया और ना ही हथियार न ले जाने के ही नियम का पालन किया गया । स्पष्ट है कि असामाजिक तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है और कांग्रेस एंड कंपनी एवं कम्युनिस्ट जनता द्वारा बार बार नकारे जाने के बाद इस आंदोलन एवं उपद्रव की आड़ में अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगी हुई है ।
लाल किला पर उपद्रवियों ने जिस तरह 26 जनवरी के दिन तिरंगे का अपमान कर राष्ट्रद्रोह का परिचय दिया है , इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है । देश के अन्नदाता तो ऐसा नहीं कर सकते । दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रेक्टर रैली को लेकर सशर्त NOC जारी किया था । किसान संगठनों को 37 शर्तों के साथ ट्रैक्टर 26 जनवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रैक्टर रैली की परमिशन मिली थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आज सुबह 9 बजे से पूर्व ही हंगामा और हुडदंग मचाते हुए सिंघु और टिकरी बॉर्डर के बैरिकेड्स तोड़ दिए और दिल्ली की और घुसने लगे ।