जिला कांगड़ा में कुल 54 सीटों वाली कांगड़ा जिला परिषद में भाजपा ने सबसे पहले दावा ठोंका कि उसके पास 40 जिला परिषद सदस्यों का समर्थन है। बाद में जब शनिवार को भाजपा ने शक्ति प्रदर्शन किया तो बताया कि उसके पास 33 फिलवक्त हाजिर हैं और सोमवार को चुनावी बेला में 40 आ जाएंगे। पर सोमवार को जब वोटिंग की बारी आई तो भाजपा की बोट हिचकोले खाने शुरू हो गई।
बाहर आला भाजपाई नेताओं ने रमेश बराड़ का नाम फाइनल किया तो अंदर पहुंचते ही धमाल हो गया। भाजपाई पृष्ठभूमि के राहुल पठानिया ने भी अपना नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ा दिया। खबर बाहर आई तो हाय-तौबा मच गई। जैसे-तैसे करके जैसे का तैसा टाइप राजनीति शुरू हुई। नतीजा यह हुआ कि राहुल शांत हो गए और अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पदों के लिए मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। कुल 54 जिला परिषद सदस्य मौजूद थे। नतीजा ऐसा आया कि सबको सबक सिखा गया।
अध्यक्ष पद पर एक जिप सदस्य ने भाजपा-कांग्रेस दोनों को ही ठेंगा दिखाते हुए नोटा को अपना मत बना लिया। नतीजा यह हुआ कि बराड़ को कुल 54 मतों में से 30 तो कांग्रेस के संजय राणा को 23 वोट मिले। जबकि नोटा वाले सदस्य ने उपाध्यक्ष पद पर मतदान किया तो भाजपा की स्नेहलता को 31 तो कांग्रेस की वीना को 23 मत हासिल हुए।
भाजपा भले ही जिप पर कब्जा करने में कामयाब रही, मगर खुद को सियासी जलजले के झटकों से नहीं बचा पाई। कहां 40 के बाद 33 सदस्यों की परेड करवाई,पर जब वोटिंग की बारी आई तो इन 33 मे से भी तीन बेवफा हो गए और वफ़ा कांग्रेसियों से निभाई। कहा जा सकता है कि प्रचंड सत्ताधारी भाजपाई तंत्र पर कांग्रेसियों के मंत्र भारी पड़ गए।