हिमाचल के प्रदेश हाईकोर्ट ने 5 बीघा से अधिक सरकारी वन भूमि पर सेब के बगीचे विकसित कर किये गए अतिक्रमण को तुरंत प्रभाव से हटाने के आदेश जारी किए है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की बैंच ने इस पर तुरंत कारवाई करने को कहा।
कोर्ट ने ग्राम पंचायत, ग्राम सभा, ग्राम समिति और जिला परिषद के पदाधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा पुलिस प्रशासन जारी आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करें नहीं तो इन सबके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने चीफ फोरेर्ट ऑफिसर को आदेश दिए हैं कि वह पिछले 6 महीनों का रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष पेश करें और बताएं कि वन विभाग ने कितने अवैधकब्जाधारियों के खिलाफ 6 अप्रैल 2015 को पारित आदेशों की अनुपालना करते हुए कार्रवाई अमल में लाई ।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उपरोक्त अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वह डिटेल स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के सामने दायर करें जिसमें इस बात का विशेषतया उल्लेख हो कि जो लोग सरकारी भूमि का अवैध ढंग से उपयोग करते हुए लाभ प्राप्त कर रहे थे, कोर्ट के आदेशानुसार उनसे रिकवरी करने हेतु क्या कार्रवाई अमल में लाई गई है ।
कब्जा की भूमि पर कार्य न करने के आदेश
कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि जिन अवैधकब्जाधारियों से जुड़े मामलों में विभिन्न अदालतों और अथॉरिटी ने अंतिम निर्णय पारित कर लिए हैं उन्हें अवैध रूप से कब्जाई भूमि पर कोई भी कार्य न करने दिया जाए। उन्हें ऐसी भूमि पर सेब और अन्य फलदार पौधों की प्रूनिंग करने की अनुमति कतई न दी जाए। उन्हें इन पौधों के नीचे तौलिए बनाने व उनकी स्प्रे करने की इजाजत भी न दी जाए।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अतिक्रमणकर्ताओं को इस भूमि पर किसी भी तरह के बीज उगाने की अनुमति प्रदान न की जाए। कोर्ट ने उपरोक्त अधिकारियों को यह भी आदेश दिए हैं कि वह अतिक्रमण की गई भूमि और नए मामलों पर अपनी पैनी नजर रखे व बेदखली कार्यवाही को तुरंत अंजाम दे। मामले पर सुनवाई 20 दिसंबर 2017 को होगी।