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पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 3 मार्च को शिमला के चौड़ा मैदान में पेंशन व्रत पर बैठेंगे प्रदेश के कर्मचारी

पी. चंद |

नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने कहा कि 3 मार्च को प्रदेश के कर्मचारी चौड़ा मैदान शिमला में पेंशन व्रत पर बैठेंगे । उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा पिछले छह-सात वर्षों से पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सरकार हर बार कर्मचारियों को नजरअंदाज कर रही है । वर्तमान समय में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है 2017 के चुनाव के वक्त भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमेटी के गठन का वादा किया था लेकिन सरकार द्वारा अभी तक अपने इस वादे को पूरा नहीं नहीं किया गया है ।

कर्मचारी वर्तमान सरकार से रुष्ट हैं क्योंकि चुनावों में घोषणा करने के बाद सरकार बनने पर भी कर्मचारियों को नजर अंदाज किया गया है l जबकि कर्मचारियों ने बहुत उम्मीदों के साथ सरकार को चुनने में अपना योगदान दिया था । उन्होंने कहा कि 2018 में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने धर्मशाला में कर्मचारियों के बीच घोषणा की थी कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए जल्द कमेटी का गठन किया जाएगा तथा केंद्र सरकार द्वारा 2009 में मृत्यु और अपंगता पर पुरानी पेंशन संबंधित प्रावधान संबंधित अधिसूचना को भी हिमाचल प्रदेश में जल्द लागू किया जाएगा l दुर्भाग्य यह है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय की घोषणा के बाद भी यह कार्य अभी तक हिमाचल प्रदेश में नहीं हो पाया है । 

उन्होंने कहा कि संगठन का कर्तव्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के लिए अधिक से अधिक प्रयास करना है l इसी कड़ी में संगठन द्वारा विधानसभा सत्र के दौरान पुरानी पेंशन बहाली की मांग को प्रमुखता से उठाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि 3 मार्च को चौड़ा मैदान में पेंशन व्रत किया जाएगा जिसमें प्रदेश के हजारों कर्मचारी भाग लेंगे । इस समय कर्मचारियों में भारी रोष है क्योंकि उनकी मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है । पिछले दिनों तो तब हद हो गई जब कर्मचारियों को उस पैसे पर भी सरकार द्वारा टैक्स लगाया जा रहा है जो ना तो कर्मचारी का है ना कर्मचारी को कभी मिलेगा । इस तरह से बिना मतलब का टैक्स लगाकर कर्मचारियों को और दुखी किया जा रहा है । जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है । सरकार यदि जल्द कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं करती तो यह  रोज दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाएगा जिसका खामियाजा 2022 के चुनावों में भी वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ सकता है ।