हिमाचल विधानसभा में 26 फ़रवरी को हुए हंगामे के बाद निलंबन और एफआईआर के विरोध में विपक्ष के नेता सहित 5 सदस्य विधानसभा गेट के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। मुकेश अग्निहोत्री, हर्षवर्धन चौहान, सुंदर सिंह, सतपाल रायज़ादा और विनय सिंह विधानसभा गेट में ही विरोधस्वरूप बैठे हुए है। कांग्रेस सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ नारेबाज़ी कर रही है। सदन के अंदर आज चौथे दिन विपक्ष के बाकी सदस्य गए लेकिन 15 मिनट में ही वॉकआउट कर वापस आ गए। विधायक ने विधानसभा प्रकरण के लिए चर्चा मांगी लेकिन अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा और फ़िर वॉकआउट हो गया।
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गई है। मीडिया में गलत बयानबाजी की जा रही है लेकिन जनता उनके इस कृत्य को देख रही है। अध्यक्ष ने जो निर्णय किया है वह नियमों के अनुरूप है। जब भी सदन बुलाया जाता है, सभी को सन्देश दिया जाता है। सदन अगर चार मिनट के अंदर बुलाया गया तब भी वह विधानसभा परिसर में ही थे। अगर वह आना चाहते तो आ सकते थे। सदन में उनके आने की ही मंशा ही नहीं थी।
विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं था इसलिए वह सदन में नहीं आये। संवैधानिक पद पर आसीन किसी व्यक्ति की मर्यादा को भंग करने की जब कोशिश की जाती है वही धाराएं कांग्रेस के विधायकों पर लगाई गई है। कांग्रेस में देश और प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन की कमी है। गतिरोध खत्म करने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा दिल बहुत बड़ा है लेकिन माफी मांगने के लिए विपक्ष ने देरी कर दी है फिर भी गतिरोध को खत्म करने के लिए विपक्ष को आगे आना चाहिए।
उधर, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सारे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर है। जिन्होंने असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए मंत्रियों को हंगामे के लिए उकसाया और विपक्ष के सदस्यों के साथ मंत्रियों व विधानसभा उपाध्यक्ष को धक्का मुक्की के लिए भेजा। ऐसे मंत्रियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के बजाए उलटा विपक्ष के सदस्यों पर राजद्रोह जैसी धाराएं लगाकर मुकद्दमे बना दिए। यदि किसानों , महंगाई और फर्जीवाड़े जैसे मुद्दों को उठाना राजद्रोह है तो वह ऐसा बार-बार करेंगे।