हिमाचल में बर्फबारी के चलते मांस आदि की खरीदारी तो बढ़ती ही है, लेकिन यहां कई इलाकों में मांस को खाने की विधि भी अलग-अलग होती है। अधिकांश इलाकों में मांस को चूल्हे-गैस पर पक्का कर खाया जाता है। लेकिन, कई पहाड़ी इलाकों में मांस को खाने का अनोखा चलन है।
रोहड़ू, डोडरा क्वार और चिड़गांव जैसे इलाकों में मांस खाने को सुखाकर खाया जाता है, जो कि सदियों से चली आ रही एक प्रथा भी मानी जाती है। भले ही सुनने में ये अटपटा सा लगे, लेकिन ये सच है कि पहाड़ के लोग सर्दियों के लिए मांस को सुखाकर रख लेते हैं और बर्फबारी के समय इसका इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, मांस को सुखाकर खाने की अहम भूमिका ठंड को दूर करना या फिर उपरी इलाकों में खाद्य पदार्थों की कमी ही नज़र आती है। लेकिन, यहां के लोगों का कहना है कि ये सदियों पुरानी रीत है जिसे लोग निभाते हैं और इस रीत को मुख्यता बीमारियों का शमन करने के लिए किया जाता है। यहां तक, सूखे मीट के इस व्यंजन को मेहमानवाजी में भी पेश किया जाता है।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, पहले वे बकरे एवं भेड़ों को खिला पिलाकर पालते हैं, उसके बाद उसको काटा जाता है। मांस में हल्दी, मसाला, नमक लगाकर साफ कमरे में सुखाने के लिए लटका दिया जाता है। मांस के सूख जाने के बाद उसे जरूरत अनुसार गर्म पानी में धोने के बाद खाया जाता है। ये मीट ताकत के साथ कई बीमारियों भी दूर रखता है।