प्रदेश में बडे़ जोर-शोर से डिग्रियों के बेचने और खरीदने का मामले सामने आ रहे हैं। लोग अपनी जोडी़ गयी कमाई की जमा पूंजी को डिग्री लेने पर खर्च कर रहे हैं । मगर डिग्री लेने वाले को उसकी डिग्री फर्जी है यह तब पता लग रहा है जब वो व्यक्ति कही उसको उपयोग कर रहा है। इसके बाद डिग्री धारक चुप होकर डिग्री देने वालों के आगे रोना शुरू कर रहा है लेकिन अपनी नाकामियों के डर से पुलिस के पास ख़बर नहीं दे रहे।
ऐसे में अब सोलन के बाद जिला कांगडा के फतेहपुर मे फर्जी डिग्रियों का मामला फल फूल रहा है । यहां कथित तौर पर एक फर्जी डिग्री का मामला सामने आया है। मामले का पता तब चला जब डिग्री लेने वाले ने 2009 की डिग्री जारी की गई। लेकिन हैरानी इस बात की है कि जिस यूनविर्सिटी का एफिलिऐशन दिया गया है वे 2010 में शुरू हुई है।
दरअसल, उक्त डिग्री 2009 से जारी कर दी गयी है। डिग्री सिरियल नम्बर 31325263542 रोल नम्बर 843298 डिप्लोमा सिविल इंजीनियरिंग जिसका 2nd year 2010-2011 मे जारी हुआ है जब की तीसरे वर्ष का सेशन 2011-2012 दर्शाया गया है। मगर पहले वर्ष 2009-2010 मे दर्शाया गया है मगर जो युनिवर्सिटी 2010 मे डिप्लोमा के लिए सक्ष्म हुई तो 2009 वर्ष का डिप्लोमा कैसे जारी हो गया ।
इस डिप्लोमा को देखकर यह साफ नजर आता है की यह फर्जी डिग्री है। मगर हैरानी की बात है की पुलिस प्रशासन और प्रदेश के शिक्षा विभग को आज तक इसकी कानो कान खबर नहीं है । अगर फर्जी डिग्री धारक की माने तो इन बेची जा रही फर्जी डिग्रियों के पीछे भाजपा के एक बड़े नेता नाम सामने आ रहा है । वहीं इस फर्जी डिग्री खेल पर कब तक कार्यवाही होती है यह देखना अभी बाकी है ।